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बिहार के 'सियासी अखाड़ों' की पड़ताल: 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' पार्ट-3

लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में सियासी घमासान तेज हो गया है. पार्टियां एक-दूसरे से लड़ने-भिड़ने के लिए जात-पांत समेत तमाम तरह के 'सियासी हथियारों' से धूल-गर्दा झाड़ने में जुट गई हैं.

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aajtak.in
  • पटना,
  • 02 फरवरी 2014,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST

लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में सियासी घमासान तेज हो गया है. पार्टियां एक-दूसरे से लड़ने-भिड़ने के लिए जात-पांत समेत तमाम तरह के 'सियासी हथियारों' से धूल-गर्दा झाड़ने में जुट गई हैं.

किसी पार्टी के लिए टिकट का बंटवारा सिरदर्द साबित हो रहा है, तो किसी के लिए बागी नेता. जो भी हो, कुल मिलाकर सबका मकसद तो वोटरों को ही फुसलाना है, चाहे 'घोषित' बहाना कोई भी हो. पेश है 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' की तीसरी किस्‍त...

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1. ''राज्यसभा के लिए जेडीयू उम्मीदवारों में से एक रामनाथ ठाकुर, स्व. कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं, जिनकी लीक पर नीतीश की राजनीति चल रही है. रामनाथ पिछली बार चुनाव में खेत रहे थे या कहिए कि अपने ही नेताओं द्वारा हरा दिए गए थे. रामनाथ का बायोडाटा मजबूत है. थोड़ा साहस करते, तो नीतीश से अति पिछड़ों की राजनीति कब का छीन लेते, लेकिन माद्दा नहीं था. उनको टिकट देना नीतीश की मजबूरी थी, नहीं तो असंतुष्ट शरद यादव कब किसको बागी बना दें, गारंटी नहीं है.''

''कहकशां परवीन महिला हैं, मुसलमान हैं और राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हैं. वे भागलपुर की मेयर रह चुकी हैं और अपेक्षाकृत नया चेहरा हैं. यानी सुशासन बाबू ने समीकरण को साधने का भरपूर प्रयास किया है.''

2. ''दरभंगा के मशहूर डॉक्टर मोहन मिश्र को पद्मश्री मिला है. मोहन मिश्र ने WHO के सहयोग से कालाजार पर शोध किया था और कालाजार के इलाज के लिए Amphotericin B पर उनकी रिपोर्ट बड़ी मशहूर हुई थी. वे UPSC के विशेषज्ञ सदस्य भी रहे और दरभंगा मेडिकल कॉलेज में मेडिसीन के विभागाध्यक्ष भी.''

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''मधुबनी के कोइलख गांव में जन्मे मोहन मिश्र का अतीत और वर्तमान जनसंघी-भाजपाई रहा है. पिता संयुक्त दरभंगा जिले में जनसंघ के दशकों तक प्रमुख रहे और डाक साहब खुद बीजेपी के बिहार उपाध्यक्ष. उनके चाचा डॉ. हरिनाथ मिश्र कांग्रेसी थे और बिहार के हेल्थ मिनिस्टर भी. डॉ. मिश्र ने इतिहास पर कई पुस्तकें भी लिखी हैं. दरभंगा जैसे स्मॉल टाउन को डाक साहब ने गदगद कर दिया है और बिहार का सीना एक इंच चौड़ा. मजे की बात यह है कि ये कांग्रेसी सरकार चुनचुन कर भाजपाई डॉक्टरों को पद्मश्री देती है. सीपी ठाकुर को भी दिया था.'' (किस्‍तों में जारी)

पढ़ें: 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्शन' की पहली किस्‍त
पढ़ें: 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्शन' की दूसरी किस्‍त

(यह विश्लेषण स्वतंत्र पत्रकार सुशांत झा ने लिखा है. वह इन दिनों 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्शन' के नाम से एक सीरीज लिख रहे हैं.)

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