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प्रधानमंत्री अगर संसद में बोलेंगे तो उससे उनकी गरिमा बढ़ेगी: नीतीश

जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसद में जारी गतिरोध के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा बने विवादित मुद्दों के बारे में अगर सदन में दो शब्द बोलेंगे तो उससे उनकी गरिमा बढ़ेगी.

aajtak.in
  • पटना,
  • 19 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 11:34 PM IST

जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसद में जारी गतिरोध के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा बने विवादित मुद्दों के बारे में अगर सदन में दो शब्द बोलेंगे तो उससे उनकी गरिमा बढ़ेगी. बिहार विधान परिषद के बाहर पत्रकारों के सवाल पर नीतीश ने कहा कि जिस तरह की बात हो रही है. कभी राष्ट्रपिता के हत्यारे गोडसे को महिमा मंडित करने और लालच देकर धर्मांतरण की कोशिश हो रही है.

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नीतीश ने आरोप लगाया कि कोई गोडसे को राष्ट्रभक्त कह रहा है तो कोई उनकी प्रतिमा लगाने और स्मारक बनाने की बात कर रहा है, क्या इस देश में यही चलेगा. अब कौन से युग में हम पहुंच गए हैं. उन्होंने कहा कि इन सारे विषयों पर और एक नहीं अनेक विषय हैं. विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री के स्तर पर स्पष्ट बातें कही जाएं कि वह इसे अस्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा कि सदन को चलाने में सत्तारूढ़ पक्ष को पहल करनी पड़ती है और विपक्ष का काम है मुद्दों को उठाना और वे अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें चाहिए कि अपनी तरफ से सारी स्थिति को स्पष्ट कर दें.

नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री अगर सदन में दो शब्द बोलेंगे तो उससे उनकी गरिमा बढ़ेगी, घटेगी नहीं. पर लोग इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाते हैं जिसके कारण संसद में गतिरोध पैदा हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि अगर संसद में कोई गतिरोध पैदा हुआ है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी भाजपा पर है और सत्ता पक्ष की है. नीतीश ने आरोप लगाया कि दिल्ली में शीर्ष पर बैठे हुए लोगों के सहयोगी एवं संगठन स्तर पर कार्यरत लोग समाज में ऐसे ही प्रश्नों को उठाकर लोगों को लड़ाने और बांटने की कोशिश कर रहे हैं.

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उन्होंने आरोप लगाया कि जो वादा किया था, उसे पूरा करने के बजाय रोजगार के अवसर उपलब्ध थे, उन पर भी नियुक्ति में पाबंदी लगायी जा रही है. इसको लेकर लोगों के मन में मोहभंग जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है. नीतीश ने कहा कि धर्म व्यक्तिगत आस्था का प्रश्न है और इस बारे में कोई बहस की गुंजाइश नहीं है, पर ‘प्रलोभन’ और ‘घर वापसी’ के नाम पर बड़े पैमाने पर जो राशि इकट्ठा की जा रही है, वह समाज को तोड़ने, बांटने और मूल मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश है.

पूर्व सीएम ने बताया कि कालाधन, किसान और युवा वर्ग के सवालों को लेकर आगामी 22 दिसंबर को छह दलों की ओर से दिल्ली में धरना आयोजित किया गया है, उसमें ये सारी बातें हम लोग उठाएंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार के सत्ता में आए तो अब सात महीने हो रहे हैं. बिहार के लोगों को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष आर्थिक सहायता और विशेष ध्यान देने की बात कही गयी थी, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया.

पाकिस्तान के पेशावर में आर्मी स्कूल में आतंकी हमले के बारे में नीतीश ने कहा कि उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है. ऐसे समय में आतंकवाद के खिलाफ सब लोग एकजुट हो जाएं तथा मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करें और इसके लिए वातावरण बनाकर कारगर कार्रवाई की जाए क्योंकि आतंकवाद किसी धर्म और मजहब को नहीं देखता और अब मासूम बच्चों को भी निशाना बनाया गया.

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जनता परिवार के एकजुट हुए छह दलों के विलय के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि इसके लिए बातचीत जारी है और इसको लेकर दो बैठकें हो चुकी हैं. (भाषा से इनपुट)

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