
बिहार में इस साल ऐसी प्रलयंकारी बाढ़ आई कि दर्जनों गांवों का नामोनिशान मिट गया. ऐसा ही एक गांव किशनगंज का कमारमुन गांव है, जहां गांव के ठीक सामने महानन्दा नदी का सुरक्षा बांध टूट गया. 11 अगस्त को महानंदा उफान पर थी, पानी के दबाव को सुरक्षा बांध सह न सका और गांव के सामने ही बांध टूट गया. हालांकि बांध को बचाने का भरपूर प्रयास गांव के लोगों ने किया, लेकिन बांध बच न सका. नतीजा यह हुआ कि कमारमुन गांव तबाह हो गया.
गांव के करीब 200 पक्के और कच्चे मकान ताश के पत्तों की तरह बह गए. सैकड़ों मवेशी इस सैलाब में बह गए. गांव के लोगों ने किसी तरह मुख्य सड़क पर पहुंच कर अपनी जान बचाई. गांव के लोगों का कहना है कि बाढ़ ने ऐसा रूप पहले कभी नहीं दिखाया था. पानी के तेज बहाव की वजह से गांव में एक बड़ा कुंड बन चुका है. मकान बनाने की कोई जगह नहीं बची है. चारों तरफ तबाही का आलम है. हर तरफ टूटे मकान और मिट्टी में दबे सामान नजर आ रहे हैं. गांव के लोगों के पास खेती की जमीन भी नहीं बची है. सारे खेत नदी में समा चुके हैं.
गांव के निवासी मो रफीक कहते हैं कि बांध टूटने के बाद कुछ नहीं बचा सिर्फ जान बची है और अब सड़क पर रह रहे हैं. किशनगंज के डीएम पंकज दीक्षित कहते हैं कि सभी को 6 हजार रुपये प्रति परिवार सरकार की तरफ से राहत दी जा रही है. मकान और फसल की क्षतिपूर्ति के लिए सर्वे चल रहा है.
यह केवल एक गांव की कहानी नहीं है. ऐसे दर्जनों गांव हैं, जो पूरी तरह तबाह हो चुके हैं. गोपालगंज का बंगरा गांव में भी यही भयावह मंजर दिखता है. गंडक नदी का सुरक्षा बांध इस गांव के सामने 18 अगस्त को टूट गया था. ऐसे में कभी सम्पन्न रहा बगरा गांव दाने दाने को मोहताज है. वैकुंठपुर विधानसभा के बीजेपी विधायक मिथिलेश तिवारी बांध टूटने के लिए जलसंसाधन विभाग को जिम्मेदार बताते हैं. उनके अनुसार विभाग की लापरवाही की वजह से बांध टूटा है.
बिहार के 19 जिले भीषण बाढ़ की मार झेल रहे हैं. नेपाल की तरफ से आई बाढ़ ने जबरदस्त तबाही मचाई. बाढ़ की वजह से जानमाल का नुकसान हुआ और 500 सौ से अधिक लोग इसके शिकार हुए हैं. निजी और सरकारी सम्पति का व्यापक नुकसान हुआ है. रेलवे को भी जबरदस्त खामियाजा भुगतना पड़ा है.
वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ पीड़ितों के लिए जल्द आर्थिक मदद मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि बकरीद से पहले ही पीड़ितों को आर्थिक मदद दी जाए.नीतीश कुमार ने बताया कि बाढ़ राहत के लिए दी जाने वाली 6 हज़ार नगद राशि को बकरीद के पहले दिए जाने के लिए अधिकारी काम करें. ताकि बाढ़ पीड़ितों को त्योहार के पहले राशि मिल सके. उन्होंने कहा कि अगर किसी पीड़ित का खाता नहीं खुला हो तो प्रशासन के लोग उस व्यक्ति के खाते को खुलवाने की व्यवस्था करें. ताकि आरटीजीएस के माध्यम से उनके खाते में राशि का ट्रांसफर किया जा सके.