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बिहार में महागठबंधन में रार: तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल लेकिन निशाना सीटों की बार्गेनिंग पर

बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर समीकरण सेट किए जाने लगे हैं. एनडीए में भले ही सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अभी तय नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार के नाम पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान बीजेपी ने कर दिया है. वहीं, महागठबंधन में सीट बंटवारे से लेकर सीएम के चेहरे तक पर घमासान है.

बिहार में महागठबंधन के नेता बिहार में महागठबंधन के नेता
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 6:38 PM IST

  • बिहार में महागठबंधन में मचा घमासान
  • NDA में सीट शेयरिंग अभी तय नहीं

बिहार विधानसभा चुनाव में अभी से शह-मात का खेल शुरू हो गया है, लेकिन चुनाव से पहले महागठबंधन में दरार पड़ती नजर आ रही है. महागठबंधन में शामिल सहयोगी दलों ने आरजेडी के सामने आंखे तरेरना शुरू कर दी हैं. जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशावाहा और मुकेश साहनी भले ही तेजस्वी यादव को सीएम पद का उम्मीदवार बनाने जाने को लेकर सहमत नहीं हो रहे हैं लेकिन माना जा रहा है कि इसके पीछे सीटों की बार्गेनिंग की रणनीति है. जबकि आरजेडी इन छोटे सहयोगियों को अधिक भाव देने के मूड में नहीं नजर आ रही है.

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जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशावाहा और मुकेश साहनी ने सोमवार को बैठक कर महागठबंधन के लिए को-आर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग की थी. इसके बाद आरजेडी ने दो टूक कह दिया- सही प्लेटफार्म पर बातचीत की जा सकती है, लेकिन नेता के सवाल पर बहस की गुंजाइश नहीं है. इससे साफ है कि आरजेडी ने तय कर लिया है कि वो तेजस्वी के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरेगी.

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एनडीए में भले ही सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अभी तय नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार के नाम पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान बीजेपी ने पहले ही कर दिया है. वहीं, महागठबंधन में सीट बंटवारे से लेकर सीएम के चेहरे तक पर घमासान है. जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशावाहा और मुकेश साहनी ही नहीं बल्कि कांग्रेस भी तेजस्वी को लेकर अभी तक अपना नजरिया साफ नहीं किया है.

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बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था. महागठबंधन में सीट शेयरिंग के तहत कुल 242 सीटों में आरजेडी और जेडीयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि बाकी 40 सीटों पर कांग्रेस ने अपने कैंडिडेट उतारे थे. इस बार समीकरण बदल गए हैं. जेडीयू एनडीए का हिस्सा है और उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी महागठबंधन के साथ खड़े हैं.

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जेडीयू के महागठबंधन से अलग होने के बाद उसकी 101 सीटों पर महागठबंधन के बाकी सहयोगी दलों की नजर है. कांग्रेस और आरजेडी भी पहले से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के मूड में है. इस बार के चुनाव में आरजेडी 150 के करीब सीटों पर तैयारी कर रही है तो कांग्रेस ने भी 50 से ज्यादा सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने का मन बनाया है.

ऐसे में महागठबंधन के बाकी सहयोगी के लिए खाते में महज 40 के करीब सीटें बचती है. ऐसे में माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी के खाते में 20 और जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी की पार्टी को 10-10 सीटें मिल सकती है.

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यही वजह है कि जीतनराम मांझी कहते हैं कि आरजेडी महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में है. इसमें किसी को कोई शक नहीं है, लेकिन राजद बड़े भाई की भूमिका को ठीक से नहीं निभा पा रहा है. यही रवैया रहा तो सहयोगी दल मार्च के बाद बड़ा फैसला ले सकते हैं. वहीं आरजेडी लोकसभा में इन तीनों नेताओं की सियासी हैसियत को नाम चुकी है, जिसकी वजह से इनके दबाव में झुकने के लिए तैयार नहीं है.

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