
बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात अभी से बिछाई जाने लगी हैं. महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के लिए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के नाम सहमति नहीं बन पा रही है. आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार को बैठक कर साफ कर दिया था कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं हुआ है. कुशवाहा के बाद सोमवार को महागठबंधन में शामिल जीतन राम मांझी और वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी ने बैठक कर अपने तेवर सख्त कर लिए हैं.
महागठबंधन में शामिल तीन मुख्य घटक दल के नेताओं की सोमवार को बैठक हुई. हम पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी ने महागठबंधन में को-ऑर्डिनेशन कमिटी की मांग की. राज्यसभा में कांग्रेस की एक सीट की डिमांड को आरजेडी ने नजरअंदाज कर दिया है, जिससे कांग्रेस की तेवर सख्त हो गए हैं तो शरद यादव ने भी अब आरजेडी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में तेजस्वी यादव की चिंता को सहयोगियों ने बढ़ा दिया है.
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बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के सभी घटक दल एक साथ मिलकर चुनाव लड़े थे लेकिन भारी हार हुई थी. चुनाव नतीजों के बाद से ही महागठबंधन बिखरने लगा था. आरजेडी ने तेजस्वी यादव को बिहार विधान सभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. ऐसे में महागठबंधन के भविष्य पर टूट के बादल मंडराने लगे हैं.
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नीतीश कुमार का साथ छोड़ने के बाद शरद यादव लोकतांत्रिक जनता दल पार्टी बना ली है. शरद यादव राज्यसभा न पहुंच पाने को लेकर नाराज हैं. हालांकि पिछले दिनों शरद यादव ने रांची मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की थी. तब लालू यादव ने उन्हें राज्यसभा भेजने का आश्वासन दिया था.
इसके बाद भी आरजेडी ने न तो कांग्रेस और न ही शरद यादव के लिए राज्यसभा सीट छोड़ी है. ऐसे में शरद यादव की एलजेडी ने बिहार की सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान पहले ही कर दिया है. ऐसे में अब कुशवाहा, जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी ने आंखे तरेर ली है. वहीं, पप्पू यादव पहले ही से ही तेजस्वी यादव के खिलाफ बगावती झंडा उठाए हुए हैं. इससे साफ है कि महागठबंधन में तेजस्वी यादव के लिए सियासी राह आसान नहीं है.