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झारखंडः कैसे तैयार हुई बाबूलाल मरांडी की BJP में वापसी की जमीन

वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी की घर वापसी हो गई है. मरांडी 14 साल लंबे वनवास के बाद सोमवार को राजधानी रांची में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भाजपा में शामिल हो गए. गृह मंत्री अमित शाह ने मरांडी का पार्टी में स्वागत किया.

गृह मंत्री अमित शाह ने बाबूलाल मरांडी का पार्टी में स्वागत किया गृह मंत्री अमित शाह ने बाबूलाल मरांडी का पार्टी में स्वागत किया
सत्यजीत कुमार
  • रांची,
  • 18 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST

  • सूबे के पहले मुख्यमंत्री का अमित शाह ने किया स्वागत
  • ओम माथुर भी थे मौजूद, जेवीएम का भी हुआ विलय

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अलग होकर झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) की स्थापना करने वाले वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी की घर वापसी हो गई है. मरांडी 14 साल लंबे वनवास के बाद सोमवार को राजधानी रांची में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भाजपा में शामिल हो गए. गृह मंत्री अमित शाह ने मरांडी का पार्टी में स्वागत किया.

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ओम माथुर की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में मरांडी अपनी पार्टी जेवीएम का भी भाजपा में विलय कर दिया. इस दौरान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास भी मौजूद थे. जगन्नाथ मैदान में मरांडी की वापसी कितनी शानदार थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद मंच पर मरांडी का कटआउट ही सबसे बड़ा था. माना जा रहा है कि पार्टी, पुराने कद्दावर मरांडी को बड़ी जिम्मेदारी देगी. हालांकि भव्य स्वागत से अभिभूत मरांडी ने भी साफ कर दिया कि वे पार्टी में कोई भी जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं.

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भाजपाइयों ने पूरे शहर को मरांडी के बैनर, पोस्टर और कटआउट से पाट दिया था. मरांडी भी काफी खुश नजर आ रहे थे. भाजपा में शामिल होते ही मरांडी ने नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के समर्थन में आक्रामक भाषण दिया, तो हेमंत सरकार पर जमकर हमला भी बोला. गृह मंत्री अमित शाह ने भी पार्टी के नेताओं को टीम भावना के साथ काम करने की सीख दी और रघुबर दास की पीठ भी थप-थपाई.

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मरांडी की वापसी के पीछे माना यह जा रहा है कि हालिया विधानसभा चुनाव में आदिवासी बाहुल्य सीटों पर पार्टी के खराब प्रदर्शन ने भाजपा में मरांडी की जमीन तैयार की. भाजपा को आदिवासी बाहुल्य 28 में से 26 सीटों पर करारी शिकस्त मिली थी. इसके बाद से ही पार्टी एक मजबूत आदिवासी चेहरे की तलाश थी, जो साल 2006 में पार्टी से नाराज होकर अपना दल बनाने वाले मरांडी पर आकर खत्म हुई.

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