
मकर संक्रांति के दौरान पटना में घटित नाव हादसे की जांच के लिए बिहार सरकार ने भले ही एक जांच समिति बना दी हो लेकिन बीजेपी का मानना है कि यह जांच समिति काफी नहीं है. इसलिए बीजेपी ने मांग उठाई है कि एक सर्वदलीय समिति बनाई जाए ताकि इस पूरी दुर्घटना की सही जांच हो सके.
बीजेपी का मानना है कि नाव हादसे के 48 घंटे बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार ने अब तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ ना तो कोई प्राथमिकी दर्ज की है और ना ही किसी का तबादला किया है. ना ही किसी को निलंबित किया. जो सरकार की घटना को लेकर संजीदगी को दर्शाता है.
बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा, क्या सरकार ने बदनसीब नाम के माला और बंद पड़े डिज्नीलैंड के संचालक पद पर एफआईआर दर्ज करा दिया है लेकिन अफसरों को क्यों छोड़ दिया गया है? क्या प्रशासन केवल उन्हीं कार्यक्रमों में मुस्तैदी दिखाएगा जिनसे मुख्यमंत्री की राष्ट्रीय छवि चमकाई जाती है?'
बीजेपी ने मांग की कि अगर बिहार के मुख्यमंत्री वाकई में इस पूरी दुर्घटना की सही जांच करवाना चाहते हैं और घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करना चाहते हैं तो उन्हें किसी गांधीवादी नेता की अध्यक्षता में सर्वदलीय जांच समिति का गठन करना चाहिए.
बीजेपी का मानना है कि अधिकारियों की जांच समिति बिल्कुल भी भरोसेमंद नहीं है. भाजपा ने यह भी मांग की कि घटना के मद्देनजर शराबबंदी के लिए प्रस्तावित 21 जनवरी को मानव श्रृंखला कार्यक्रम की तारीख को भी बदला जाना चाहिए.
सुशील मोदी ने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि इससे पहले पटना के दशहरा उत्सव छठ पूजा के दौरान हुए हादसों की जांच रिपोर्ट के आधार पर एक भी अधिकारी पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई है? क्या अधिकारियों की जांच समिति दोषी अफसरों को बचाने के लिए बनाई गई है?