
बीजेपी ने दिल्ली परिवहन निगम (DTC) मामले की उपराज्यपाल नजीब जंग से सीबीआई जांच कराने की मांग की है. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल सरकार ने एक ओर तो बार-बार डीटीसी की बसों के बेड़े को बढ़ाने की घोषणा कर दिल्ली की जनता को मूर्ख बनाया है. वहीं, अब सरकार डीटीसी को निजी हाथों में सौंपना चाहती है, जिसकी जांच जरूरी है.
3 करोड़ रुपये प्रतिदिन के घाटे में है डीटीसी
पहले बजट में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली में 10,000 डीटीसी बसें चलाने की घोषणा की थी, लेकिन 17 महीने बाद भी हमें दिल्ली में एक नई बस डीटीसी बेड़े में नहीं जुड़ी. सरकार के नई बसें लाने के बड़े-बड़े दावे झूठे साबित हुए हैं. सच्चाई यह है कि केजरीवाल शासन के दौरान दिल्ली की सड़कों की 1000 डीटीसी बसें हटी हैं और आज डीटीसी लगभग 3 करोड़ रुपये प्रतिदिन के घाटे में है. वहीं, सरकार 8 अगस्त से आम आदमी बस चलाने जा रही है.
इन वजहों से डीटीसी को हो रहा नुकसान
डीटीसी को भारी परिचालन नुकसान हो रहा है, जिसके मुख्य कारण हैं:- लाभ वाले रूटों से बसों को हटाना, अलाभकारी अंतरराज्यीय रूटों पर बसें चलाना और बड़ी संख्या में बसों में खराबी. ऐसा माना जा रहा है कि एक साजिश के तहत बसें खराब होती हैं. घंटों उन पर ध्यान नहीं दिया जाता, ताकि दिहाड़ी खराब हो और जानबूझकर लाभ वाले रूटों पर से डीटीसी बसों को हटाकर उन्हें क्लस्टर ऑपरेटरों को दे दिया जाए.
क्लस्टर बस सेवाएं भी बना रहे दूरी
जनवरी 2015 तक औसतन 600 बसों में टूट-फूट की जानकारी सामने आती थी, लेकिन साल के आखिर तक यह औसत 800 बसों के प्रति महीने ठप होने तक जा पहुंची. दिल्ली सरकार की सार्वजनिक बस सेवा प्रणाली पर गलत नीतियों के चलते आज निजी क्लस्टर बस सेवाएं चलाने वाले भी भाग रहे हैं और लगभग 250 ऑरेंज क्लस्टर बसें सड़कों से हट चुकी हैं.