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दिल्ली: एमसीडी चुनाव में AAP के वोटर्स पर बीजेपी की नजर

दिल्ली नगर निगम के चुनावों के मद्देनजर तमाम पार्टियों ने एक-दूसरे को पटखनी देने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. कांग्रेस जहां एमसीडी में भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाकर अपनी नैया पार लगाने की जुगत में है, तो वहीं बीजेपी की नजर उन वोटर्स पर है, जो आम आदमी पार्टी के कोर वोटर्स हैं.

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी का झुग्गियों पर खास ध्यान दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी का झुग्गियों पर खास ध्यान
रोहित मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 3:23 PM IST

दिल्ली नगर निगम के चुनावों के मद्देनजर तमाम पार्टियों ने एक-दूसरे को पटखनी देने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. कांग्रेस जहां एमसीडी में भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाकर अपनी नैया पार लगाने की जुगत में है, तो वहीं बीजेपी की नजर उन वोटर्स पर है, जो आम आदमी पार्टी के कोर वोटर्स हैं. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी का लगातार झुग्गी बस्तियों में लोगों से मिलना इसी पहल के रूप में देखा जा रहा है.

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वहीं एमसीडी में पेश हुआ बजट भी इस बात पर अपनी मुहर लगा रहा है, जहां काफी लोक लुभावन बजट पेश किया गया और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों पर ज्यादा फोकस किया गया है.

उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने जहां वोटरों को रिझाने की कवायद के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को बड़ी राहत देते हुए 26 स्क्वॉयर मीटर क्षेत्र में बने मकानों को संपत्तिकर से मुक्त कर दिया है. तो पूर्वी दिल्ली नगर निगम में रिहायशी इलाके में 50 गज में बने मकानों को कर से मुक्त कर दिया है.

इसके अलावा बीजेपी अनाधिकृत कॉलोनियो पर भी खूब फोकस कर रही है. दरअसल बीजेपी इन अनाधिकृत कॉलोनियों में आप स्टाइल में ही लोगों से आम आदमी पार्टी के किए वादों की तख्तियां लटकार अपनी तरफ खींचने की कोशिश है, तो वहीं झुग्गी बस्तियों में बीजेपी ने अपनी पुरी ताकत लगा दी है, जिसमें खुद अध्यक्ष मनोज तिवारी इन झुग्गियों में रातें गुजारकार लोगों को बीजेपी के नजदीक लाने की कोशिश कर रहे हैं.

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दिल्ली में हुए पिछले चुनावों में इन झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों का रुझान आप की तरफ देखने को मिला है. ऐसे में बीजेपी नीत निगमों ने अपने बजट में प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत 21 वर्ष के ऊपर तक के रिक्शा चालकों का बीमा किया जाएगा. निगम स्कूलों में छात्रों की बीमा राशि 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी गई है.

दरअसल उत्तरी निगम में कुल 104 वार्ड हैं. वार्ड परिसीमन पर गौर करें तो शहरी क्षेत्र के मुकाबले अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी वाले इलाके में वार्डों की संख्या बढ़ी हैं. झुग्गी बस्तियों को अलग-अलग वार्डों में विभाजित किया गया है. अनधिकृत कॉलोनियों में कभी कांग्रेस का बोलबाला था, लेकिन कांग्रेसी नेताओं की बेरुखी के चलते वोटर धीरे-धीरे दूर होता चला गया. अवैध कॉलोनियों में लोकसभा में भाजपा ने परचम फहराया, तो वहीं विधानसभा में लोगों ने आप के पक्ष में मत दिया.

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