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दिल्ली में बीजेपी ने क्यों चला पूर्वांचली दांव?

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद वो कोई एक मोर्चा के नेता नहीं हैं, बल्कि वो सांसद के तौर पर उनकी सीट और अध्यक्ष के तौर पर पूरी दिल्ली के लोगों के सुख-दुख में शामिल होने आए हैं. इसीलिए चुनावी गणित से अलग उनका दिल्ली से रिश्ता है.

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी
कपिल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 8:52 PM IST

दिल्ली में बीजेपी ने मनोज तिवारी को अध्यक्ष बनाकर क्यों पूर्वाचंली दांव चला, ये सवाल दिल्ली की राजनीति करने और समझने वालों को भी परेशान कर रहा है, लेकिन मनोज तिवारी के अध्यक्ष बनते ही इस सवाल के जवाब भी अपने आप ही सामने आने लगे हैं.

दिल्ली बीजेपी ने तिवारी के अध्यक्ष बनने के बाद शुक्रवार को पहली बार पूर्वांचल मोर्चा का सम्मेलन बुलाया और इसमें मनोज तिवारी के स्टारडम की पूरी झलक मिली. पूर्वांचल के मतदाताओं की दिल्ली में अच्छी खासी तादाद है और बीजेपी आने वाले एमसीडी चुनावों में इस वोट बैंक को अपनी तरफ लुभाने की पूरी कोशिश में है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्वांचलियों का समर्थन हासिल करने में आम आदमी पार्टी कामयाब रही थी.

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इसीलिए वैश्य पंजाबी के समीकरण को आगे रखने वाली बीजेपी इस बार पूर्वांचली दांव अपना रही है, यही नहीं पूर्वांचली अध्यक्ष मनोज तिवारी अपने गृह प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश के पूरब के इलाके में इस बार भी स्टार प्रचारक तो होंगे ही वहीं उनकी दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर नई पहचान भी पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है.

हालांकि मनोज तिवारी ने इस पर कहा कि वो सबके हैं और सब उनके हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद वो कोई एक मोर्चा के नेता नहीं हैं, बल्कि वो सांसद के तौर पर उनकी सीट और अध्यक्ष के तौर पर पूरी दिल्ली के लोगों के सुख-दुख में शामिल होने आए हैं. इसीलिए चुनावी गणित से अलग उनका दिल्ली से रिश्ता है.

लेकिन तिवारी का इस्तेमाल बीजेपी इमेज बदलने के लिए भी करना चाहती है. क्योंकि बीजेपी को दिल्ली में भी व्यापारी वर्ग से जोड़कर देखा जाता रहा है और कमान भी ज्यादातर इसी समीकरण को ध्यान में रखकर दी जाती रही है, ऐसे में अब बीजेपी न सिर्फ इस समीकरण में पूर्वी एंगल जोड़ रही है, बल्कि तिवारी के स्टारडम का इस्तेमाल भी करने में पीछे नहीं है. मनोज तिवारी अध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली की अलग-अलग झुग्गी बस्तियों में रात गुज़ार रहे हैं. दावा ये है कि वो ऐसा करके झुग्गवालों की परेशानी को समझना चाहते हैं, लेकिन मकसद झुग्गी में बसने वाले दलित और पूर्वांचली वोटरों के दिल में जगह बनाना भी है.

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पूर्वी दिल्ली के पूर्व मेयर रामनारायण दुबे कहते हैं कि मनोज तिवारी सीधे लोगों के दिल में उतरते हैं, वो नेता के तौर पर नहीं बल्कि लोगों से उनके जैसा ही बनकर मिलते हैं.

ये रणनीति इस बात से भी पता चलती है कि किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम में मनोज तिवारी अध्यक्ष के तौर पर भाषण तो देते हैं, लेकिन उन्हें पता है कि लोग उन्हें गायक मनोज तिवारी और भोजपुरी स्टार के तौर पर जानने, देखने और सुनने आते हैं, इसीलिए किसी न किसी बहाने से लोगों की इस इच्छा या फरमाइश को भी पूरा कर ही देते हैं. पूर्वांचल के सम्मेलन में तिवारी अपनी आवाज का जादू बिखेरने से पीछे नहीं रहे.

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