
बीजेपी बिना फेस के भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतर सकती है क्योंकि पार्टी में फेस देने को लेकर भी अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस समय पार्टी के पास ऐसा कोई सर्वमान्य चेहरा नहीं हैं जो सभी जातीय समीकरणों पर खरा उतरता हो.
ऐसे में बीजेपी किसी खास जाति समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले किसी एक नेता को पार्टी का फेस नहीं बनाना चाहती है . इसलिए जरूरी नहीं है कि पार्टी चुनाव से पहले चेहरा लेकर ही उतरे.
सभी जाति समीकरणों पर खरा उतरने वाला चेहरा नहीं
पार्टी के पास अभी उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, वरुण गांधी और केशव प्रसाद मौर्य जैसे नाम हैं. मगर पार्टी के नेताओं का मानना है कि इनमें से ऐसा कोई भी नेता नहीं जो सभी जाति में सेंध लगा सके. कुछ नेताओं का नाम जरूर बड़ा है लेकिन ग्राउंड रियलिटी के हिसाब से पार्टी आगे बढ़ेगी. बेशक मीडिया में ये सब नाम चल रहे हैं लेकिन पार्टी ने अभी इस दिशा में कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है कि वो फेस के सहारे ही पार्टी चुनाव में जाएगी.
पीएम मोदी का चेहरा सबसे बड़ा
पार्टी लीडरशिप को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फेस ही सबसे बड़ा फेस है, जिसके सहारे यूपी में वह चुनाव जीतेंगे. साथ ही वहां के जातीय समीकरणों में तालमेल रखने के लिए बीजेपी पूरी तरह से लगी है.
बीएसपी छोड़ने वाले मौर्य को अपनी तरफ खींचने की कोशिश
इसी दिशा में बीएसपी छोड़कर आए ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पर भी पार्टी ने डोरे डालने की कोशिश की है. बीजेपी नेताओं का मानना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बीएसपी से बाहर आने से उन्हें कोई फायदा हो या न हो मगर बीएसपी को नुकसान जरूर होगा और उसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य को बीजेपी अपने पाले में लाना चाहती है. मौर्य से बीजेपी के कुछ नेता कई बार मिल भी चुके हैं मगर उनके पार्टी में आने पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.
ओबीसी वोटों पर बीजेपी पर नजर
प्रदेश में ओबीसी 11 फीसदी और अन्य ओबीसी के 20 फीसदी वोट हैं जिन पर बीजेपी की नजर है. इसलिए पार्टी ने केशव प्रसाद मौर्य को यूपी का अध्यक्ष बनाया है और स्वामी प्रसाद मौर्य पर बीजेपी की नजर है ताकि ओबीसी वोटरों को पक्का किया जा सके.