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जनवरी में बीजेपी राष्ट्रीय परिषद की बैठक, लोकसभा चुनाव फतह के लिए बनेगी रणनीति

भाजपा के ओबीसी मोर्चा की बैठक 15-16 फरवरी के पटना में होगी. इसमें 16 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में एक सभा का आयोजन किया जायेगा जिसे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास आदि संबोधित करेंगे.

फाइल फोटो फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:13 PM IST

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी के सिलसिले में बीजेपी इस वर्ष दिसंबर से अगले साल फरवरी के बीच देश के विभिन्न क्षेत्रों में पार्टी के अलग अलग मोर्चे की बैठक आयोजित करेगी. साथ ही बीजेपी 11-12 जनवरी को पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक भी बुलाएगी. भाजपा महासचिव भूपेन्द्र यादव ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से इसका ब्यौरा साझा किया.

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उन्होंने बताया कि भाजपा के संगठनात्मक स्तर पर सात मोर्चे हैं. इसमें भारतीय जनत युवा मोर्चा की बैठक हैदराबाद में हो चुकी है. अब 15-16 दिसंबर को पार्टी के युवा मोर्चा की कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा.

भाजपा महिला मोर्चा की बैठक अहमदाबाद में 21-22 दिसंबर को आयोजित होगी. इस बैठक में राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर की महिला मोर्चा के पदाधिकारी एवं नेता हिस्सा लेंगे. 22 दिसंबर को महिला मोर्चा की एक बड़ी सभा का अयोजन होगा जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संबोधित करेंगे. अनुसूचित जाति मोर्चा की बैठक 19-20 जनवरी को नागपुर में होगी जिसमें अमित शाह हिस्सा लेंगे.

यादव ने कहा, "11 और 12 जनवरी 2018 को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद् का अधिवेशन होगा जिसमें पार्टी के पदाधिकारी और सभी जनप्रतिनिधि सम्मिलित होंगे."

पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के बाद यादव ने कहा कि भाजपा की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की बैठक 2-3 फरवरी को भुवनेश्वर में होगी. भाजपा के ओबीसी मोर्चा की बैठक 15-16 फरवरी के पटना में होगी. इसमें 16 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में एक सभा का आयोजन किया जायेगा जिसे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास आदि संबोधित करेंगे.

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भाजपा किसान मोर्चा की बैठक का आयोजन 21-22 फरवरी को उत्तरप्रदेश में होगा. इस बैठक को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संबोधित करेंगे. पार्टी महासचिव ने कहा कि पदाधिकारियों की बैठक पूर्व निर्धारित थी और इसमें कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव में पार्टी की पराजय के बारे में चर्चा नहीं हुई. यह बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं था.

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