
ओडिशा में विधानसभा चुनाव दो साल बाद होने हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में चुनावी जीत के लिए तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं. भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक यहां शुरू हुई है. हाल में हुए स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव में पार्टी ने अच्छी सफलता हासिल की थी. इसके बाद पार्टी ने अपना जोर अब राज्य की सत्ता में आने पर लगा दिया है.
9 साल तक राज्य की सत्ता में साझीदार रही है बीजेपी
1998 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की यहां बैठक हुई थी. इसके बाद भाजपा ने राज्य में बीजू जनता दल से हाथ मिलाया था. 1998 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार में बीजेडी भी शामिल हुई थी. बाद में ओडिशा में भी बीजेडी और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई. फिर दोनों के बीच मतभेद उभरे और बीजेडी ने एनडीए से नाता तोड़ लिया. इसके बाद से भाजपा राज्य में अपने विस्तार के लिए पूरा जोर लगा रही है. हालांकि बीजेपी साल 2000 से नौ साल तक बीजेडी सरकार का हिस्सा रही मगर इस दौरान बीजेपी वहां अपनी जड़ें जमाने में नाकामयाब रही, बीजेपी हमेशा एक सहयोगी की भूमिका में ही रही.
पंचायत चुनावों में शानदार प्रदर्शन से जगी उम्मीदें
2014 को लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भाजपा राज्य में केवल एक सीट जीत सकी थी. वैसे तो ओडिशा के विधानसभा चुनाव साल 2019 में होने हैं मगर बीजेपी स्थानीय चुनावों में किए बेहतर प्रदर्शन को पूरी तरह भुनाना चाहती है. बीजेपी ने ओडिशा के पंचायत चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया है. बीजेपी जहां 2012 के पंचायत चुनावों में 851 में से मात्र 36 सीटें जीत सकने में कामयाब रही तो 2017 के चुनावों में वो 306 सीट जीत कर आई. बीजेपी के लिए उत्साहित करने वाली बात ये भी है कि पार्टी स्थानीय निकाय चुनावों में बीजू जनता दल के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब रही है, और साथ ही साथ कांग्रेस को भी तीसरे स्थान पर धकेलने में कामयाब रही है. वर्तमान में ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी का केवल एक सांसद है, जबकि पार्टी के केवल 10 विधायक हैं.
अमित शाह हर महीने आएंगे राज्य में
अब जब वर्तमान समय में बीजेपी के लिए ओडिशा से अच्छे परिणाम आये हैं, तो बीजेपी का अगला लक्ष्य ओडिशा के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन का है. इसके लिए पार्टी विशेष रणनीति पर भी काम कर रही है, जिसके तहत अमित शाह अगले चुनाव तक हर महीने कम से कम तीन दिन राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बिताएंगे. इसके अलावा पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान समेत कुछ वरिष्ठ नेता भी अगले चुनाव तक ओडिशा में अपना पूरा जोर लगाते नजर आएंगे जिससे आने वाले समय में ओडिशा में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आ सके.
मिशन 2019 में होगा अहम रोल
13 राज्यों में इस वक्त बीजेपी की सरकार है और पार्टी की कोशिश है कि ये आंकड़ा लगतार बढ़ता जाए. ओडिशा में विधानसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ ही होने हैं. ऐसे में पार्टी की नजर न सिर्फ राज्य की सत्ता पर है बल्कि वो लोकसभा चुनाव में भी राज्य में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद पाले हैं. कुछ दिन पहले ही खबर आई थी कि बीजेपी ने मिशन 2019 के तहत उन सीटों पर फोकस करना शुरू किया है जहां उसके कैंडिडेट जीत नहीं पाए थे. ओडिशा में भी उसे महज एक सीट मिली थी इसलिए वो उसके टारगेट पर है.