
महाराष्ट्र में हाल के दिनों में उत्तर भारतीयों, खास तौर पर बिहार से आए लोगों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं. राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने मुंबई के अलग-अलग इलाकों में फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले या फेरी लगा कर आजीविका कमाने वाले उत्तर भारतीयों को निशाना बनाया. सांगली में भी इसी तरह का हमला हुआ.
बीते कुछ साल से मुंबई समेत महाराष्ट्र में इस तरह की घटनाओं पर विराम लगा हुआ था. अचानक ऐसा क्या हुआ कि MNS ने फिर इस तरह के हमले तेज कर दिए हैं. मुंबई में अप्रवासी उतर भारतीय एकता मंच के अध्यक्ष फूल सिंह ने MNS की इस कार्रवाई कि निन्दा करते हुए राज ठाकरे को खुली चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में कहा गया है कि अगर बिहार या उत्तर प्रदेश के लोगों की पिटाई से महाराष्ट्र के लोगों को नौकरी मिलती है तो वे उनसे पिटने के लिए तैयार हैं.
बिहार में इन दिनों नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन सरकार है. ऐसे में महाराष्ट्र से बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों पर हमले की ख़बरें आ रही हैं. 2013 में जब नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ कर लालू प्रसाद और कांग्रेस से हाथ मिला कर सरकार बनाई थी, तब से इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़कर मुंबई में MNS या शिवसेना ने बिहार के लोगों के खिलाफ ऐसी कोई हरकत नहीं की थी.
ये किसी से छुपा नहीं है कि MNS और शिवसेना, दोनों ही अपनी क्षेत्रवाद की राजनीति को चमकाने के लिए अतीत में उत्तर भारतीयों को निशाना बनाते रहे हैं. हाल में फिर ऐसे हमले होने पर बिहार के राजनीतिक गलियारों में ये सवाल फिर उठने लगे हैं कि बिहार में जब भी बीजेपी सत्ता में होती है तो महाराष्ट्र में बिहार के लोगों पर हमले क्यों बढ़ जाते हैं.
जेडीयू के प्रवक्ता नीराज कुमार कहते हैं, 'महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना है और वो रोज अपने अखबार ‘सामना’ में बीजेपी के खिलाफ जहर उगलती है. MNS का भी यही हाल है. वे हिन्दुत्व के साथ-साथ मराठी वोटरों को लुभाने की रणनीति के तहत ये सब करते है. ऐसे में बीजेपी को आत्ममंथन की जरूरत है.'
मुंबई में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और इत्तेफाक से इन दोनों राज्यों में ही बीजेपी सत्ता में है. बीजेपी ये सही नही मानती है कि उनकी सरकारें बिहार और उतर प्रदेश में होने से महाराष्ट्र में उतर भारतीयों को निशाना बनाया जा रहा है. बिहार में बीजेपी के एमएलसी देवेशचन्द्र ठाकुर का कहना है कि मुंबई में इस बार के हमले उतर भारतीयों पर हमले नहीं हैं. इस बारे में गलत प्रचार किया जा रहा है. मुंबई में रहने वाले ठाकुर का मानना है- 'महानगर में एलफिंस्टन ओवर ब्रिज हादसे के बाद इस तरह की बातें सामने आईं कि फेरीवालों की वजह से लोगों का ऐसे ब्रिजों पर चलना मुश्किल है. इसी को लेकर MNS की ओर से कहा गया कि ऐसी जगहों से फेरी वालो को हटाया जाएगा. इसमें केवल उतर भारतीय फेरी वाले नही दक्षिण भारतीय और मराठी भी हैं.’
देवेशचंद्र ठाकुर ने ये भी कहा कि 2012 में बिहार के शताब्दी वर्ष समारोह के बाद से मुंबई या महाराष्ट्र में बिहार के लोगों पर हमले की घटनाएं करीब करीब बंद हो गई थीं.
लेकिन सवाल ये उठता है फेरीवालों को हटाने का अधिकार MNS को किसने दिया है? क्या इन फेरीवालों के लिए सरकार की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नही की जा सकती है?
मुंबई में अप्रवासी उतर भारतीय एकता मंच के अध्यक्ष फूल सिंह ने राज ठाकरे के नाम खुली चिट्ठी में लिखा है कि अगर उत्तर भारतीयों की पिटाई से महाराष्ट्र के लोगों को नौकरी या रोजगार मिलता है तो वे उनसे पिटने के लिए तैयार हूं. फूल सिंह ने लिखा है कि राज ठाकरे 27 अक्टूबर को जूहु पर आकर उनकी पिटाई करें और 10 मराठियों को नौकरी दें, मैं इसके लिए तैयार हूं.