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नस्लवाद के आरोपों पर तरुण विजय ने ऐसे दी सफाई कि मांगनी पड़ी माफी

केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता तरुण विजय भारत में हुए कथित नस्लवादी हमलों पर बात करते हुए एक नस्लभेदी टिप्पणी कर बैठे. हालांकि बाद में उन्हें अपनी गलती का ऐहसास हुआ और उन्होंने इसके लिए माफी भी मांग ली.

बीजेपी नेता तरुण विजय मध्य में बीजेपी नेता तरुण विजय मध्य में
साद बिन उमर
  • नई दिल्ली,
  • 07 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता तरुण विजय भारत में हुए कथित नस्लवादी हमलों पर बात करते हुए एक नस्लभेदी टिप्पणी कर बैठे. हालांकि बाद में उन्हें अपनी गलती का ऐहसास हुआ और उन्होंने इसके लिए माफी भी मांग ली.

दरअसल अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनल अल जज़ीरा से बातचीत के दौरान विजय ने कहा था कि भारतीयों को नस्ली कहना गलत होगा, क्योंकि अगर ऐसा होता तो हम दक्षिण भारतीयों के साथ कैसे रह पाते. बाद में विजय ने इस बयान पर माफी मांगते हुए कहा कि शायद वह पूरी बात ठीक ढंग से नहीं कह पाए. उन्होंने माफी मांगते हुए लिखा कि उनके कहने का मतलब यह नहीं था जो समझ लिया गया.

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अपने इस कथित बयान को लेकर ट्विटर पर हुई आलोचनाओं के विजय ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने गलती से भी दक्षिण भारतीयों के लिए काले शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है. तरुण विजय ने लिखा कि उनके कहने का मतलब यह था कि 'हमारे देश के कई हिस्सों में अलग-अलग और विभिन्न रंग के लोग रहते हैं, लेकिन हमने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया.'

उन्होंने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'मैंने कहा था कि हम कृष्ण की पूजा करते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ काला होता है. नस्लभेद और रंगभेद का विरोध करने वाले हम पहले थे और हम खुद ब्रिटिश काल में नस्लभेद का शिकार रहे हैं.'

बता दें कि पिछले दिनों दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में कथित ड्रग्स ओवरडोज से एक छात्र की हुई मौत से गुस्साई भीड़ ने चार नाइजीरियाई नागरिकों की जमकर पिटाई कर दी. यह घटना कैमरे में कैद हो गई थी और यह घटना दुनिया भर के अखबारों में सुर्खियों में रही थी. इस घटना को लेकर अफ्रीकी देशों के राजनयिकों ने कड़ी आपत्ति जताई थी और भारतीय को नस्लभेदी करार दिया था. हालांकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अफ्रीकी राजनयिकों के इस बयान का खंडन किया था.

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सुषमा स्वराज ने लोकसभा में एक बयान जारी करते हुए कहा था कि नाइजीरियाई छात्रों पर हुए हमले की जांच की जा रही है और जांच पूरी होने तक नस्लीय हिंसा का नाम न दिया जाए. उन्होंने कहा कि देश में अफ्रीकी या फिर अन्य विदेशी नागरिकों को किसी प्रकार की असुरक्षा न हो वे इसे सुनिश्चित करती रही हैं.

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