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यूपी की ये दृष्टिहीन मुस्लिम लड़की करती है गीता का पाठ

मेरठ के एक आवासीय ब्लाइंड स्कूल में पढ़ रही आठ वर्षीय रिदा जेहरा को गीता के पाठ पूरी तरह कंठस्थ हैं और वह रोज उनका अभ्‍यास करती है. रिदा को गीता के श्‍लोकों का पाठ करने के लिए पुरस्‍कार भी मिल चुका है...

रिदा जेहरा मेरठ के ब्लाइंड स्कूल में पढ़ती है रिदा जेहरा मेरठ के ब्लाइंड स्कूल में पढ़ती है
वन्‍दना यादव/अनूप श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 17 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 9:44 AM IST

हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ गीता का एक-एक श्लोक याद रख पाना जहां बड़े-बुजुर्गों के लिए भी आसान नहीं होता. वहीं मेरठ की आठ साल की मुस्लिम नेत्रहीन बच्ची रिदा जेहरा से बस पूछने भर की देर है और वह बिना हिचकिचाए हाथ जोड़े इसका पाठ शुरू कर देती है जो उसे कंठस्थ याद है.

रिदा ने नहीं लिया ब्रेल का सहारा
रिदा जेहरा पिछले तीन साल से मेरठ में जागृति विहार स्थित एक आवासीय ब्रजमोहन ब्लाइंड स्कूल में पढ़ रही है . उसने किताबें कभी नहीं देखीं और न ही गीता ब्रेल के जरिए पढ़ी है. बस चिन्मयी मिशन के द्वारा गीता के पंद्रहवें अध्याय को लेकर एक प्रतियोगिता की तैयारी के चक्कर में स्कूल के शिक्षकों ने बच्चों को गीता याद करानी शुरू करी थी. लेकिन रिदा जेहरा का गीता में ऐसा रुझान बना की उसे आज गीता का बारहवें और पन्द्रहवें अध्याय के सब श्लोक पूरी तरह मुंहजबानी याद हैं.

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मिल चुका है पुरस्‍कार
जेहरा को बकायदा इस प्रतियोगिता में स्टेट का प्रथम पुरस्कार भी मिल चुका है. रिदा जेहरा के लिए यह बात कोई मायने नहीं रखता कि वह किस मजहब के ग्रन्थ को पढ़ और याद कर रही है उसे बस इतना जरूर अहसास है कि इसे याद कर उसके मन को शान्ति मिलती है.

बेटी की सफलता से खुश हैं माता-पिता
रिदा जेहरा के माता-पिता मेरठ के लोहियानगर में रहते हैं, जहां वह छुट्टियों और त्योहारों के दौरान जाती है. उसके पिता ने तीन साल पहले उसका एडमिशन इस स्कूल में कराया था. उन्होंने यह सोचकर अपनी बेटी का दाखिला यहां कराया था कि उनकी बेटी पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकेगी. लेकिन आज जब उनकी बेटी ने उनका नाम रोशन कर दिया है. बेटी की सफलता को पर उन्‍हें लगता है कि रिदा के गीता पाठ करने से समाज में भाईचारे का संदेश भी जाएगा.

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क्या कहना है रिदा जेहरा का
रिदा जेहरा ने बताया कि मुझे एक कॉम्‍पटिशन को लेकर तैयारी करनी थी और उसके लिए गीता का एक अध्याय याद करना बेहद जरूरी था. जब मैं गीता का पाठ करना शुरू किया तो यह मुझे काफी अच्छा लगने लगा. बाद में मैंने 12 और 15 अध्याय भी याद कर लिए और बाकी भी में याद कर रही हूं.

क्या कहना है रिदा के माता पिता का
रिदा जेहरा के पिता रईस हैदर ने कहा कि मुझे काफी अच्छा लग रहा है कि मेरी बेटी कुरान और गीता पढ़ रही है. इससे समाज में अच्छा मैसेज जा रहा है. वहीं रिदा जेहरा की मां कहा कि मैं काफी उत्साहित हूं कि मेरी बेटी नाम कमा रही है.

रिदा का कायल है स्कूल प्रशासन
रिदा की लगन और कामयाबी के बाद स्कूल प्रबंधन भी उससे बहुत खुश है. प्रतियोगिता को देखते हुए उन्होंने सभी बच्चों को गीता के श्लोक याद करवाये थे. उन्हें भी लगता था कि गीता के श्लोकों को याद नहीं रख पाएगी लेकिन रिदा जेहरा के हुनर ने सबको अपना कायल बना दिया है. रिदा की सफलता के बाद जात-पात की खाई को मिटाने के लिए स्‍कूल अब हिन्दू बच्चों को कुरान की आयतें भी याद करा रहा है. ब्लाइंड स्कूल के संचालक प्रवीण शर्मा ने कहा कि हम लोग नि:शुल्क पढ़ाई करवाते हैं. इसमें गीता कुरान सभी सिखाते है.

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