
एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री जिसका सच हर कोई जानना चाहता है. एक ऐसा खौफनाक दोहरा हत्याकांड जिस पर फिल्में बनी. एक ऐसा हत्याकांड जिस पर किताब लिखी गई. लेखक का दावा है कि किताब लिखने से पहले उसने हर उस शक्स से बात की जो उस केस से जरा सा भी ताल्लुक रखता हो. चाहे वो आरोपी हो या फिर तलवार दंपति को दोषी ठहराने वाले जज श्याम लाल.
जब इस किताब को लांच किया गया उस वक्त तलवार दंपति के सभी जानकार, उनके रिश्तेदार मौजूद थे. इस केस की पेंचीदगी ने ही पिछले सात साल से इस मामले को देश का सबसे चर्चित और जटिल हत्याकांड बना दिया. यही कारण था कि जब सीबीआई की विशेष अदालत में इस मामले का फैसला आना था तो सारे देश की निगाहें इस पर टिकी हुई थीं. हर व्यक्ति इस मामले में न्याय चाहता था, लेकिन हर किसी के लिए न्याय की परिभाषा अलग थी.
208 पन्नों में आया केस का फैसला
कई लोगों का मानना था कि डॉक्टर दंपति ने अपनी 14 वर्षीया बेटी और घरेलू नौकर की हत्या की है तो उनके लिए कड़ी से कड़ी सजा भी कम है. लेकिन कई लोगों का यह भी तर्क था कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो इससे बड़ा अन्याय किसी भी माता-पिता के साथ नहीं हो सकता.
25 नवंबर 2013 को जब न्यायालय का फैसला आया तो सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस लाल ने अपने 208 पन्नों के फैसले में आरोपी राजेश और नूपुर तलवार को दोषी करार दिया. उन्होंने दोनों को धारा 302, 34 और 201 के अंतर्गत उम्रकैद की सजा सुनाई साथ ही दोनों आरोपितों पर 15 हजार रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया गया.
केस की जांच में लापरवाही बरतने का आरोप
इस केस से पूरे देश जुड़ गया था. सबकी अपनी अलग राय भी थी. उन्हीं में से एक अविरूक सेन जो कि एक निजी चैनल में काम करते थे उन्होंने नौकरी छोड़ दी और आरूषि पर किताब लिखने लगे. 27 अगस्त को अविरूक ने अपनी किताब को विमोचन किया. इस मौके पर वकील तनवीर मीर भी मौजूद थे. लेखक और वकील दोनों की राय काफी मिलती है. दोनों का कहना था कि केस की जांच में काफी लापरवाही बरती गई. सीबीआई ने ठीक से काम नहीं किया. महत्वपूर्ण सबूतों को दरकिनार किया गया और कोर्ट में किसी भी तरह से नूपुर और राजेश तलवार को दोषी ठहराने की कोशिश की.
लेखक और वकील तनवीर दोनों का मानना है कि कई ऐसे तथ्य हैं जिसके आधार पर ऊपरी अदालतें तलवार दंपति के पक्ष में फैसला दे सकती हैं. इनमें मुख्य हैं:
1. नार्को टेस्ट में नौकरों ने अपराध करना स्वीकार किया.
2. सीबीआई के कई लोगों ने यह बयान दिया था कि नौकरों ने अपने बयानों में भी अपराध स्वीकार किया है.
3. तलवार दंपति के नार्को में कुछ भी ऐसा नहीं पाया गया जिससे उसकी अपराध में संलिप्तता स्थापित होती हो.
4. नौकर कृष्णा के तकिये से हेमराज का खून मिला था (हालांकि सीबीआई द्वारा कहा गया कि यह सिर्फ टाइपिंग की गलती के कारण हुआ है).