
भारत और अमेरिका ने अपने ऐतिहासिक असैन्य परमाणु करार पर पिछले करीब सात साल से बने गतिरोध को दूर कर लिया है. रविवार को राष्ट्रपति बराक ओबामा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत के बाद इस दिशा में सहमति होने का ऐलान किया.
ओबामा ने इसे एक ‘कामयाबी’ करार दिया, जिसके अंतर्गत दोनों देशों ने इस महत्वपूर्ण समझौते के अमल में आने के रास्ते में आ रही कुछ बाधाओं को हटाने पर सहमति जताई. इनमें हादसे की सूरत में परमाणु रिएक्टर की आपूर्ति करने वाले देश की जिम्मेदारी और इसके प्रस्तावित परमाणु संयंत्रों के लिए अमेरिका और अन्य देशों द्वारा सप्लाई किए गए इंधन पर नजर रखने जैसे मुद्दे शामिल हैं.
विदेश सचिव सुजाता सिंह ने ओबामा और मोदी के बीच निर्धारित अवधि से कहीं ज्यादा तकरीबन तीन घंटे तक चले विचार विमर्श के बाद कहा, ‘हमने पिछले कुछ सालों से चले आ रहे गतिरोध को तोड़ दिया है. हम समझौते पर पहुंच गए हैं. समझौता पूरा हुआ.’ दोस्ती को बयां करती तस्वीरें
असैन्य परमाणु करार के जवाबदेही से जुड़े प्रोविजन के मुद्दे को दोनों नेताओं ने कैसे सुलझाया इस बारे में अभी जानकारी नहीं है. असैन्य परमाणु क्षतिपूर्ति कानून के प्रावधानों को लेकर अमेरिकी परमाणु रिएक्टर निर्माताओं को गंभीर आपत्तियां थीं. यह पूछे जाने पर कि इस बारे में क्या बात हुई मोदी ने मुस्कराते हुए कहा, ‘जहां तक बातों का सवाल है, पर्दे में रहने दें.’
समझा जाता है कि अमेरिका, भारत में उनके आपूर्तिकर्ताओं द्वारा बनाए गए रिएक्टरों को किसी तीसरे देश से भी होने वाली ईंधन आपूर्ति पर नजर रखने पर जोर दे रहा था. बताया जाता रहा है कि भारत इसका विरोध करता रहा है, क्योंकि उसके अनुसार ऐसा करना हस्तक्षेप होगा और वह इस संबंध में केवल अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सुरक्षा मानदंडों का पालन करना चाहता है.
बीमा दायित्व प्रोविजन पर भारत, अमेरिका को कहता रहा है कि वह एक कोष बनाएगा जो दुर्घटना की स्थिति में अमेरिकी रिएक्टर निर्माताओं की क्षतिपूर्ति करेगा, ओबामा ने कहा, ‘आज हमने दो मुद्दों पर सफलता हासिल की है, जो असैन्य परमाणु करार की दिशा में आगे बढ़ने की हमारी क्षमता को रोके हुए थे और हम इसे पूरी तरह से लागू करने को प्रतिबद्ध हैं.’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो दर्शाता है कि कैसे हम मिलकर अपने रिश्तों को ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं.’ इस अवसर पर दोनों नेताओं ने कहा कि वे दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा बनाने को प्रतिबद्ध हैं. यह इस बात से भी रेखांकित होता है कि ओबामा भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं और ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जो पद पर रहते हुए दूसरी बार भारत आए हैं, जो इनके बढ़ते संबंधों का परिचायक है.
मोदी ने कहा, ‘पिछले कुछ महीने में मैंने इस रिश्ते में एक नया उत्साह और विश्वास देखा है. हमारे संबंधों में मुझे एक नई ऊर्जा का अनुभव हुआ है. पिछले सितंबर में जब मैं व्हाइट हाउस गया था, अपने नेतृत्व में, आपने जो दिशा दी, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं.’
- इनपुट भाषा से