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बृंदा करात बोलीं- आर्मी चीफ भी नियंत्रण में रहना सीखें

सीपीआई नेता बृंदा करात ने आज तक से एक्सक्लूसिव बातचीत में आर्मी चीफ व इलेक्शन कमीशन के मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी.

बृंदा करात (फाइल फोटो) बृंदा करात (फाइल फोटो)
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2017,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST

सीपीआई नेता बृंदा करात ने आज तक से एक्सक्लूसिव बातचीत में आर्मी चीफ व इलेक्शन कमीशन के मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी.

संदीप दीक्षित द्वारा आर्मी चीफ के बयान के विषय पर करात ने कहा कि संदीप दीक्षित ने जो बयान दिया है वह एक विशेष संदर्भ में दिया है उन्होंने इसके लिए माफी मांग ली है इसलिए इस मैटर को अब खत्म कर दिया जाना चाहिए.इसके अलावा इलेक्शन कमीशन द्वारा सरकार से अपने लिए अवमानना का अधिकार मांगने पर बृंदा करात ने कहा अगर वास्तव में इलेक्शन कमीशन को लगता है कि उसकी प्रतिष्ठा को हानि पहुंची है तो वे कोर्ट का रास्ता अपना सकता है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि चुनाव आयोग को अभी ऐसी किसी शक्तियों की ज़रूरत है.

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बृंदा करात ने आर्मी चीफ को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि क्या केंद्र सरकार ने उन्हें इस तरह के बेतुके बयान देने का प्रमाण पत्र दिया हुआ है आए दिन वो कुछ न कुछ कहते रहते हैं.

आर्मी चीफ जो कहना चाह रहे हैं मैं समझती हूं यह बिल्कुल गलत था और इस प्रकार का बयान हमारे देश के आर्मी चीफ को बिल्कुल शोभा नहीं देता. इस प्रकार के बयानबाज़ी से उन्हे बचना चाहिए.

इस प्रकार के बयान जब दिए जाएंगे तो ज़ाहिर है कि साथ में 10 सवाल और उठेंगे और वह उठेंगे तो आपत्तिजनक बयान भी हो सकते हैं तो यह आर्मी की क्रेडिबिलिटी और आर्मी चीफ की क्रेडिबिलिटी पर निश्चित रुप से नुकसान पहुंचाता है. इसलिए आर्मी चीफ को खुद पर नियंत्रण करना चाहिए.

उन्होने आगे कहा आप देखिए कि खुद बीजेपी के नेता गांधी जी के बारे में ऐसे गलत बयान देते हैं जब वो खुद इतने घटिया बयान देते हैं तब बीजेपी उस पर चुप क्यों हैं.

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इलेक्शन कमीशन पर राय:

बृंदा करात ने इलेक्शन कमीशन के मद्दे पर कहा कि इलेक्शन कमीशन के क्या सुझाव है उसकी डिटेल अभी तक हमारे पास नहीं आई है लेकिन जितना मैंने अभी तक पढ़ा है इस आधार पर मैं यह समझती हूँ कि इलेक्शन कमीशन कंटेंट के संदर्भ में जो लिख रहे हैं, हमारी पार्टी नहीं समझती कि इस समय वह बहुत आवश्यक है.

अगर वाकई में कोई गंभीर मुद्दे आते हैं जिसे इलेक्शन कमिशन समझती है कि उनकी प्रतिष्ठा को हानि हुई हो और उनकी क्रेडिबिलिटी पर चोट हुई हो तब निश्चित रूप से वह कोर्ट जा सकते हैं.

चुनाव आयोग के पास आगे कोर्ट का रास्ता मौजूद है परंतु मुझे नहीं लगता कि चुनाव आयोग को अभी ऐसी किसी शक्तियों की ज़रूरत है.

इस देश में सभी को आलोचना करने का अधिकार है लेकिन सवाल यह है कि आलोचना के दायरे में अगर चुनाव आयोग समझता है कि मानहानि हो रही है तो वह कोर्ट जा सकते हैं.

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