
ब्रिटेन में सबसे लंबे समय से भारतीय मूल के सांसद कीथ वाज़ ने लेबर पार्टी के कश्मीर पर प्रस्ताव का विरोध किया है. वाज़ ने इसके लिए पार्टी की नेशनल एक्जीक्यूटिव कमेटी को चिट्ठी लिखकर प्रस्ताव वापस लेने के लिए कहा है.
इससे पहले लेबर पार्टी के ही वीरेंद्र शर्मा और बैरी गार्डिनर ने अपनी पार्टी के उस आपातकालीन प्रस्ताव की निंदा की जिसे ब्राइटन में 25 सितंबर को पार्टी की कॉन्फ्रेंस में पास किया गया था. उन्होंने इसे ‘कश्मीर के अंतरराष्ट्रीयकरण ’ का प्रयास बताया. वाज़ ने कुछ देर लगाई लेकिन वो भी बाद में खुल कर प्रस्ताव के विरोध में आ गए.
लीसेस्टर से पिछले 32 वर्षों से सांसद वाज़ ने प्रस्ताव को बांटने वाला बताते हुए नेशनल एक्जीक्यूटिव कमेटी के चेयरमैन एंडी फॉक्स से इसे वापस लेने के लिए कहा.
उन्होंने कहा, ''पिछले हफ्ते लेबर पार्टी सम्मेलन में पास आपातकालीन प्रस्ताव दिग्भ्रमित और कोई मदद करने वाला नहीं था. इस प्रस्ताव को लेबर पार्टी की नेशनल एक्जीक्यूटिव पार्टी या पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन का अनुमोदन लिए बिना ही सहमति दे दी गई. ऐसा किए जाने से पार्टी और देश के भीतर अनावश्यक मुश्किल और विभाजन पैदा हो गया.”
ब्रिटिश भारतीय-पाकिस्तानी में बढ़ा तनाव
ब्रिटेन में लगभग 15 लाख ब्रिटिश भारतीय और 12 लाख ब्रिटिश पाकिस्तानी रहते हैं. जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाए जाने के बाद से दो समुदायों के बीच तनाव पहले की तुलना में बढ़ गया है. इस तथ्य को हाल ही में ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त रूचि घनश्याम की ओर से स्वीकार किया गया था.
उन्होंने महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रेरित पेंटिग्स प्रदर्शनी में इंडिया टुडे से कहा, "ऐसा लगता है कि दो देशों के समुदायों में कील लाने की कोशिश की जा रही है जो कि अच्छी बात नहीं है. वो 15 अगस्त को पाकिस्तान समर्थकों द्वारा लंदन में इंडिया हाउस के बाहर भारत समर्थकों पर किए गए हमले और फिर 3 सितंबर को भारतीय मिशन की बिल्डिंग पर तोड़फोड़ की कोशिश के संदर्भ में बोल रही थीं.
इसी हमले का जिक्र करते हुए कीथ वाज ने कहा, “मैं लंदन में भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों, विजिटर्स और इमारत पर किए गए हमलों की निंदा करता हूं. हम एक संसदीय लोकतंत्र में रहते हैं और इसलिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन यह किसी अन्य देश के संप्रभु क्षेत्र को नुकसान के लिए कोई बहाना नहीं देता है. ऐसे हमलों को रोकना होगा.”
वाज़ ने कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए आगे कहा, “संप्रभुता के मुद्दे भारत सरकार के लिए एक विषय हैं; सीमा मुद्दे भारत और पाकिस्तान की सरकारों के लिए मामले हैं. यह एक राजनीतिक मुद्दा है धार्मिक नहीं. तीसरे पक्ष की भागीदारी ना तो मददगार होगी और ना ही बुद्धिमानी,वो भी विशेष रूप से एक पूर्व औपनिवेशिक ताकत की ओर से, जिसकी ओर से मूल रूप से ये समस्या हुई."