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आम बजट पर आज राज्यसभा में सरकार को घेरेगा विपक्ष

आम बजट को लेकर विपक्ष के विरोधी तेवर राज्यसभा में भी दिखने की पूरी संभावना है, जहां राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आज चर्चा होने वाली है. कांग्रेस इस मौके को जेटली के बजट की कमियां गिनाने में इस्तेमाल करने की सोच रही है.

राज्यसभा में आज राष्ट्रपति के अभिभाषण चर्चा राज्यसभा में आज राष्ट्रपति के अभिभाषण चर्चा
सुप्रिया भारद्वाज/मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

आम बजट को लेकर बाजार, उद्योग जगत और शेयर बाजारों में भले ही साकात्मक रुख देखने को मिला, लेकिन विपक्ष जेटली के इस आम बजट से खुश नहीं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जहां इस बजट को किसानों और जवानों (युवाओं) की अनदेखी वाला बजट बताया, तो वहीं पश्चिम बंगाला की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसे 'क्लूलेस, यूजलेस और हार्टलेस' बजट करार दिया. उधर लेफ्ट पार्टियों ने बजट भाषण में वित्तमंत्री के बताए आंकड़ों को हकीकत से परे और 'पूरी तरह नौटंकी' करार दिया.

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आम बजट को लेकर विपक्ष के ये तेवर राज्यसभा में भी दिखने की पूरी संभावना है, जहां राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आज चर्चा होने वाली है. कांग्रेस इस मौके को जेटली के बजट की कमियां गिनाने में इस्तेमाल करने की सोच रही है.

कांग्रेस का कहना है कि ना तो आर्थिक सर्वे में और ना ही वित्तमंत्री ने नोटबंदी के असर के बारे में बात की है. पार्टी का आरोप है कि इस बजट में मंदी झेल रहे मैन्यूफैक्चिंग सेक्टर के लिए कोई राहत का ऐलान नहीं किया गया, तो नए रोजगार पैदा करने के उपाय भी नदारद रहे.

इसके साथ ही कांग्रेस का सवाल है कि बजट में किसानों का कर्ज माफ क्यों नहीं किया. पार्टी का आरोप है कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ भद्दा मजाक किया है. वहीं बजट में बताए जीडीपी के आंकड़ों, राजस्व प्राप्ति और सरकारी खर्च के आंकड़ों को कांग्रेस ने भरोसे ना करने लायक बताया है.

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आम बजट की आलोचना वाम दल भी कांग्रेस के सुर में सुर मिलाते दिख रहे हैं. उनका कहना कि वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में तो बुनियादी ढांचों के विकास की बात की, लेकिन राजस्व खर्चे अलग ही कहानी बयां करते हैं. लेफ्ट पार्टियों ने इसे विस्तारवादी की जगह संकुचनकारी बजट करार दिया, जिसमें लोगों पर भार बढ़ेगा.

वहीं आर्थिक धोखाधड़ी कर विदेश भागने वाले कारोबारियों पर नकेल के सवाल पर वाम दलों का सवाल किया कि विदेश भागने वालों के खिलाफ कार्रवाई तो ठीक है, लेकिन बैंकों से कर्ज दबा कर देश में बैठे कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई का कोई जिक्र नहीं किया गया. यहां बैंकों के 11 लाख करोड़ रुपये एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (डूबे कर्ज) करार दिए जा चुके हैं.

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