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'न्यू इंडिया' के लिए 'बुलेट ट्रेन', पर रेलवे के बुनियादी सवालों का क्या

अगर बुलेट ट्रेन जापान से लेकर चीन और यूरोप तक आधुनिक तकनीकी में क्रांति का प्रतीक बन सकती है, तो फिर भारत में क्यों नहीं. भारत में बुलेट ट्रेन का सिर्फ अकेला प्रोजेक्ट नहीं है, अभी टारगेट और भी हैं. इंतजार 2022 का है. जब बुलेट ट्रेन पर भारत सवार होगा.

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और पीएम मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और पीएम मोदी
सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:39 AM IST

क्या बुलेट ट्रेन भारत के भाग्य को बदलने वाला प्रोजेक्ट है. क्या बुलेट ट्रेन न्यू इंडिया की आधारशिला रखने वाला प्रोजेक्ट है? ये सवाल भारत में पहली बुलेट ट्रेन की आधारशिला रखने के साथ बहस का केंद्र है, क्योंकि सवाल ये भी पूछे जा रहे हैं कि जिस भारत में अभी तक ठीक से पटरियों पर मौजूदा ट्रेनें नहीं चल पाती. वहां बुलेट ट्रेन के बारे में सोचना क्या सही है?

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पीएम मोदी ने कहा, 'समय के साथ बदलाव जरूरी है. छोटे-छोटे प्रयास किए गए हैं. नई चीजें जोड़ी गई हैं. समय ज्यादा इंतजार नहीं करता है. टेक्नोलॉजी बदली है. हाई स्पीड कनेक्टिविटी पर हमारा जोर है. इससे स्पीड बढ़ेगी, दूरी कम होगी. प्रोडक्टिविटी से आर्थिक विकास बढ़ेगा, हमारा जोर है हाई कनेक्टिविटी फॉर मोर प्रोडक्टिविटी.'

एक सवाल ये भी भारत में अगर रेल की हालत खराब है तो क्या इसके लिए बुलेट ट्रेन को विलेन बनाया जाना सही है? क्या जब तक पुरानी चीजें सही नहीं होती, तब तक कोई नए प्रयोग नहीं किए जा सकते और सबसे बड़ी बात कि एशिया के सबसे पुराने रेल नेटवर्क, दुनिया के तीसरे बड़े रेल नेटवर्क, भारत के लिए बुलेट ट्रेन, क्या उस सोच से मुक्ति का रास्ता नहीं बना सकती, जो सोच अंग्रेजों के जमाने की रेलवे से बनी हुई है?

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अहमदाबाद में भारत और जापान ने प्रण किया कि अगले पांच साल में अहमदाबाद से मुंबई बुलेट ट्रेन चलने लगेगी. अहमदाबाद से मुंबई 508 किलोमीटर सिर्फ तीन घंटे में पहुंच जाएंगे. जापान की क्रांति कही जाने वाली हाई स्पीड ट्रेन की शिंकासेन टेक्नोलॉजी 320 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड वाली ट्रेन से भारत में भी क्रांति आएगी. जिस स्पीड के बारे में अभी का भारत 100 किलोमीटर प्रति घंटा में ही लड़खड़ा जाता है.

15 अगस्त, 2022 को भारत की आजादी के 75 साल पूरे होंगे, तो बुलेट ट्रेन भी दौड़ेगी. आज इस सपने को जमीन पर उतराने का काम औपचारिक तौर पर शुरू हो गया. इस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर करीब 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये लगेंगे. जिसमें से 88 हजार करोड़ यानी करीब 80 फीसदी रकम जापान दे रहा है वो भी सिर्फ 0.1 फीसदी ब्याज पर मिलेगा.

जापान की बुलेट ट्रेन शिंकासेन टेक्नोलॉजी जापान की प्रगति का प्रतीक मानी जाती है. ये ब्रांड जापान अब भारत से दोस्ती की प्रतीक भी है. शायद यही वजह है कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भी जापान के जा और इंडिया के आई से इस दोस्ती की जयकार की है.

अगर बुलेट ट्रेन जापान से लेकर चीन और यूरोप तक आधुनिक तकनीकी में क्रांति का प्रतीक बन सकती है, तो फिर भारत में क्यों नहीं. भारत में बुलेट ट्रेन का सिर्फ अकेला प्रोजेक्ट नहीं है, अभी टारगेट और भी हैं. इंतजार 2022 का है. जब बुलेट ट्रेन पर भारत सवार होगा.

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