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हाई कोर्ट में याचिका- जज साहब यमराज को दें आदेश, दोषियों को जिंदा भेजें वापस

कलकत्ता हाईकोर्ट में मृतक दोषियों के परिजनों ने याचिका दायर अपील की है कि अदालत यमराज को आदेश दें कि वो मृतक दोषियों को वापस जिंदा इस दुनिया में भेजें, ताकि वो जेल की सजा को भुगत चुकें.

कलकत्ता हाईकोर्ट (Courtesy- www.calcuttahighcourt.gov.in) कलकत्ता हाईकोर्ट (Courtesy- www.calcuttahighcourt.gov.in)
aajtak.in
  • कोलकाता,
  • 03 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 9:36 PM IST

  •  कोर्ट में लगाई गुहार- यमराज के खिलाफ हो अवमानना की कार्यवाही
  • कोर्ट ने मृतक आरोपियों को सुनाई है पांच-पांच साल जेल की सजा

अभिनेता अक्षय कुमार और परेश रावल की फिल्म ओह माइ गॉड की स्टोरी आपको जरूर याद हो, जिसमें भूकंप में बर्बाद अपनी दुकान का क्लेम हासिल करने के लिए भगवान पर केस किया जाता है. अब ऐसा ही कुछ मामला पश्चिम बंगाल में देखने को मिला है, जहां कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर मृत आरोपियों के परिजनों ने कोर्ट से अपील की है कि वो यमराज को आदेश दें कि वह दोषियों को सजा भुगतने के लिए यमलोक से वापस जिंदा इस धरती पर भेजें.

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याचिकाकर्ता यहीं नहीं रुका, उसने हाईकोर्ट से यह भी अपील की है कि अगर यमराज ऐसा नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कोर्ट अवमानना की कार्यवाही की जाए. दरअसल, पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के गरुलिया में साल 1984 में समर चौधरी और उनके दो बेटों ईश्वर और प्रदीप ने किसी से मारपीट की थी. इस मारपीट में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.

इसके बाद 9 फरवरी 1987 को मामले में अलीपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने सभी आरोपियों को पांच साल जेल की सजा सुनाई थी. इसके बाद मार्च 1987 में आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर इनकी सजा पर रोक लगा दी थी. इसके बाद हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले प्रदीप और समर की मौत हो गई. प्रदीप की मौत 17 फरवरी 1993 और समर की मौत 16 सितंबर 2010 को हुई.

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इसके अलावा 22 जून 2006 को आरोपी पक्ष के वकील  हाईकोर्ट  के जज बन गए. लिहाजा मामले की पैरवी के लिए वकील नहीं होने की वजह से आरोपियों का परिवार हाईकोर्ट को यह नहीं बता पाया था कि अब आरोपी इस दुनिया में नहीं हैं. इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले में आरोपियों के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया. इसके बाद अदालत ने फैसला सुनाते हुए 16 जून 2016 को अपील खारिज कर दी और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा.

इसके बाद याचिकाकर्ता ने आरोपियों की मौत की जानकारी नहीं देने के लिए अदालत में माफीनामा दिया. साथ ही साल 2016 के आदेश की याद दिलाई. मृतक समर के बेटे और प्रदीप की विधवा रेनू ने हाईकोर्ट में दायर आवेदन में कहा कि न्यायालय यमराज को निर्देश दे कि वो दोनों दोषियों को इस पृथ्वी पर वापस भेजें, ताकि वो मामले में सुनाई गई सजा को भुगत सकें. उन्होंने यह भी कहा कि अगर यमराज मृतक दोषियों को वापस नहीं भेजते हैं, तो उनके खिलाफ कोर्ट अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए.

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