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CBI ने नहीं कराई थी यह 'महंगी जांच', राजेश तलवार ने भी की थी मांग

राजेश तलवार ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए शुरू में एलसीएन या टच डीएनए टेस्ट की जरूरत पर काफी जोर दिया था. एजेंसी ने परीक्षण के लिए चार विदेशी प्रयोगशालाओं से संपर्क भी किया था.

आरुषि तलवार (फाइल फोटो) आरुषि तलवार (फाइल फोटो)
कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री (आरुषि-हेमराज हत्याकांड) को सॉल्व करने के लिए पहले नोएडा पुलिस फिर एसटीएफ और फिर सीबीआई ने अपनी तरफ से पुरजोर कोशिश की लेकिन हल अब तक नहीं निकल पाया. सीबीआई कोर्ट से सजा पाए आरुषि के माता-पिता राजेश तलवार और नुपुर तलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. अगले कुछ ही घंटों में उनकी रिहाई भी हो जाएगी. लेकिन सवाल अभी भी जिंदा है कि आखिर आरुषि और हेमराज को किसने मारा.

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सवाल सीबीआई जांच पर भी खड़े हो रहे हैं. इसी बीच एक नई बात सामने आई है कि सीबीआई ने क्राइम सीन की एक जांच सिर्फ इसलिए नहीं कराई थी क्योंकि वह काफी महंगी थी. सीबीआई का तर्क था कि उसकी टीम कातिल को खोज निकालने के लिए क्राइम सीन से सभी परिस्थितिजन्य और 'वैज्ञानिक' सबूत इकट्ठा कर चुकी थी. जिस वजह से उसने 'टच-डीएनए' टेस्ट नहीं करवाया क्योंकि वह काफी महंगा भी पड़ता है.

डेक्कन क्रॉनिकल में छपी खबर के मुताबिक 'टच-डीएनए' परीक्षण के नमूने ब्रिटेन भेजे जाते हैं क्योंकि इस परिष्कृत वैज्ञानिक परीक्षण के लिए देश में कोई सुविधा नहीं है. 'टच-डीएनए' क्राइम सीन पर छूटे डीएनए का विश्लेषण करने की एक फॉरेंसिक विधि है.

राजेश तलवार ने की थी मांग

खबर के मुताबिक इस मामले में राजेश तलवार ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए शुरू में एलसीएन या टच डीएनए टेस्ट की जरूरत पर काफी जोर दिया था. एजेंसी ने परीक्षण के लिए चार विदेशी प्रयोगशालाओं से संपर्क भी किया था. एलसीएन तकनीक के साथ डीएनए को विकसित करने के लिए केवल एक ब्रिटेन की प्रयोगशाला ने सहमति दिखाई थी. लेकिन महंगी लागत और विशेषज्ञों की राय कि जांच का तरीका फुलप्रूफ नहीं है, सीबीआई ने 'टच डीएनए' जांच करवाने का फैसला छोड़ दिया.

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खबर का कहना है कि शीर्ष सीबीआई अधिकारियों का एक वर्ग परीक्षण के लिए 50 लाख रुपये खर्च करने के खिलाफ इसलिए था क्योंकि उनका तर्क था कि डीएनए नमूने पहले से ही दूषित हैं. जबकि कुछ अधिकारी इसके लिए जोर दे रहे थे, लेकिन अंतिम निर्णय उनके खिलाफ चला गया.

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