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संसद में जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार अपने तुरुप का पत्ता खेलने की योजना बना रही है. सरकार अनुसूचित जातियों के सशक्तीकरण और आरक्षण संबंधी लंबित दो विधेयक पेश करेगी. जाहिर है, विपक्ष इसकी अनदेखी नहीं कर पाएगा.
एक तीर से दो निशाने
सरकार की रणनीति को लेकर राय है कि इस कदम से न सिर्फ विपक्ष बंट जाएगा , बल्कि विधानसभा चुनाव वाले राज्य बिहार में एनडीए को दलितों का समर्थन मिलेगा.
सूत्रों ने कहा कि सरकार अगले हफ्ते विधेयक (संविधान के 117वें संशोधन विधेयक) 2012 लाने की योजना बना रही है, जिसका लक्ष्य प्रमोशन में कोटा उपलब्ध कराना
है और दूसरा बिल अनुसूचित जाति, जनजाति से संबंधित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली, संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू और गृह मंत्री
राजनाथ सिंह को इस लंबित विधयेक पर एससी/एसटी सांसदों से चर्चा कर सहमति बनाने के निर्देश दिए हैं.
बिल को कांग्रेस और बीएसपी का समर्थन
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस को बताया, 'अगर सरकार इन विधेयकों के साथ आती है, तो कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और बाकी पार्टियों के लिए
सदन की कार्यवाही को बाधित करना आसान नहीं होगा. अगर वो गतिरोध जारी रखना चाहते हैं, तो बीजेपी उनके रवैये को दलित विरोधी बताने की स्थिति में होगी.' सूत्रों
के मुताबिक, कांग्रेस और बीएसपी इस विधेयक पर सहयोग को तैयार है.
117वां संविधान संशोधन विधेयक (एससी/एसटी)
117वां संविधान संशोधन विधेयक एससी/एसटी को राज्य सरकार की नौकरी व पदोन्नति में कोटा उपलब्ध कराता है. इसे साल 2012 में राज्यसभा में पारित किया गया
था. उस वक्त यूपीए सत्ता में थी. हालांकि समाजवादी पार्टी के विरोध के कारण इसे लोकसभा में पारित नहीं कराया जा सका था.
सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा के एक सदस्य अमर शंकर साबले ने मोदी को संशोधन विधेयक पर एक प्रेजेंटेशन दिया था जिससे प्रभावित मोदी ने नायडू को निर्देश दिया
कि वह जेटली और राजनाथ के साथ इस विधेयक पर चर्चा करें.
विपक्ष इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व प्रमुख ललित मोदी के साथ संबंधों को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अलावाव्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग कर रहा है.
IANS से इनपुट