
देशभर में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है, जिससे अदालतों पर बढ़ते मुकद्दमों के बोझ को तेजी से बढ़ा रहा है. नेताओं के खिलाफ इन्हीं बढ़ते मुकदमों का बोझ घटाने के लिए 12 विशेष अदालतें बनाई जा रही हैं. इनके जिम्मे सिर्फ नेताओं यानी जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार और अन्य अपराधिक मामलों की ही सुनवाई होगी.
केंद्र सरकार के हलफनामे के साथ नत्थी चुनाव आयोग के दस्तावेजों के मुताबिक 2014 में हुए चुनावों का आंकड़ा दिया गया है. इसके मुताबिक लोकसभा के 184 और राज्यसभा के 44 सांसदों के खिलाफ अपराधिक मुकदमे लंबित हैं. रिकॉर्ड के मुताबिक अधिक मुकदमे वाले विधायकों के मामले में महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश टॉप पर हैं. महाराष्ट्र में मुकदमे वाले विधायक 160 हैं तो बिहार में 141 और यूपी में 143 दागी विधायक हैं. वहीं पश्चिम बंगाल 107 के साथ चौथे नंबर पर है.
मिजोरम इकलौता ऐसा राज्य है जहां एक भी दागी विधायक नहीं है. लोकसभा सांसदों के मुकदमे के निपटारे के लिए दो अदालतें होंगी. जिन राज्यों में एक-एक विशेष अदालत बनाई जाएंगी, उनमें आंध्रप्रदेश, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, यूपी और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.
ये दर्जन भर अदालतें दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों का जल्द निपटारा करेंगी. ये अलग बात है कि केंद्र को अब तक ये नहीं पता कि मौजूदा विधानसभाओं में आखिर देश भर में कितने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों की संख्या कितनी है? कितने मामूली और कितने संगीन अपराध वाले मुकदमे हैं. वहीं, केंद्र सरकार ने दागी सांसदों व विधायकों की ताजा जानकारी व आंकड़ों के लिए सुप्रीम कोर्ट से मोहलत मांगी है.
केंद्र सरकार ने हलफनामा देकर सुप्रीम कोर्ट में कहा कि फिलहाल साल भर के लिए 12 विशेष अदालतें बनाई जाएंगी. इन पर करीब पौने आठ करोड़ रुपये खर्च होंगे. वित्त मंत्रालय 8 दिसंबर को ही 7 करोड़ 80 लाख रुपये की मंजूरी दे चुका है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दागी सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के जल्द निपटारे को लेकर तमाम योजना बना ली गई है.