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चंद्रशेखर ने बनाई नई पार्टी, क्या मायावती का यूपी में बिगड़ेगा सियासी गेम?

चंद्रशेखर ने राजनीतिक पार्टी का गठन कर बसपा के चिंता को बढ़ा दिया है. नई सियासी पार्टी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा होगी और इससे एक नया समीकरण बन सकता है. माना जा रहा है कि चंद्रशेखर की नजर बसपा के दलित वोटबैंक पर है.

चंद्रशेखर ने बनाई नई पार्टी चंद्रशेखर ने बनाई नई पार्टी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 16 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 4:48 PM IST

  • चंद्रशेखर ने बनाई नई सियासी पार्टी
  • बसपा के दलित वोटबैंक पर नजर

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने रविवार को अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान कर दिया है, जिसका नाम आजाद समाज पार्टी (एएसपी) रखा है. चंद्रशेखर ने अपनी सियासी पार्टी की घोषणा के लिए बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती को चुना. इसके अलावा चंद्रशेखर ने अपनी पार्टी के झंडे का रंग नीला रखा है जबकि मायावती की पार्टी के झंडे का रंग भी नीला ही है. इससे समझा जा सकता है कि चंद्रशेखर की नजर दलित समुदाय और बसपा के वोटबैंक पर है.

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माना जा रहा है कि चंद्रशेखर के इस कदम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा होगी और इससे एक नया समीकरण बन सकता है. माना जा रहा है कि चंद्रशेखर मायावती के लिए मुश्किल बन सकते हैं. बसपा प्रमुख कई बार आरोप लगा चुकी हैं कि चंद्रशेखर सत्ताधारी दल के इशारे पर काम कर रहे हैं.

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दरअसल मायावती और चंद्रशेखर एक ही जाति से आते हैं और एक ही क्षेत्र से हैं. दोनों जाटव समाज से संबंध रखते हैं. ऐसे में जाटव समाज के वोट में बंटवारे से सीधा नुकसान मायावती की बीएसपी को हो सकता है. अब प्रदेश में सियासी गणित में दलित वोटबैंक के बीच तगड़ा घमासान मचेगा. क्योंकि दो बड़े दलित नेता चंद्रशेखर और मायावती के दो दल हो गए है.

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दरअसल हाल के कुछ वर्षों में दलितों का उत्तर प्रदेश में बीएसपी से मोहभंग होता दिखा है. दलितों का एक बड़ा धड़ा अब मायावती के साथ नहीं है. लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में ये धड़ा बीजेपी के साथ दिखा. लेकिन जिस तरह से दलित एक्ट में संशोधन हुआ, उससे ये वर्ग बीजेपी को लेकर पसोपेश में है. ऐसे में चंद्रशेखर ने अपनी नई सियासी पार्टी का ऐलान करके अपने राजनीतिक मंसूबे जाहिर कर दिए हैं.

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भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पहली बार सहारनपुर में हुई एक जातीय हिंसा के बाद चर्चा में आए थे. ठाकुरों और दलितों के बीच हुए संघर्ष में दलित समाज के युवाओं में चंद्रशेखर लोकप्रिय बनकर उभरे थे. इसके बाद उनकी कांग्रेस से नजदीकियां भी दिखी हैं. पिछले दिनों जब भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर अस्पताल में भर्ती हुए थे तो प्रियंका उनका हाल-चाल लेने मेरठ के अस्पताल पहुंच गई थीं. इसके बाद दिल्ली में चंद्रशेखर को सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने के चलते दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था तब भी प्रियंका उनके समर्थन में खड़ी नजर आई थीं.

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बता दें कि उत्तर प्रदेश में दलितों की आबादी लगभग 21 फीसदी से 23 फीसदी है. दलितों का यह समाज दो हिस्सों में बंटा है. पहला जाटव, जिनकी आबादी करीब 14 फीसदी है और जो मायावती की बिरादरी है. चंद्रशेखर भी जाटव हैं, ऐसे में अब चंद्रशेखर ने मायावती की चिंता को बढ़ा दिया है. वहीं, गैर-जाटव वोटों की आबादी करीब 8 फीसदी है. इनमें 50-60 जातियां और उप-जातियां हैं. पिछले चार चुनावों में हार का मुंह देख चुकीं मायावती का लगातार वोट शेयर और आधार घट रहा है. ऐसे में मायावती की परेशानी को चंद्रशेखर ने बढ़ा दिया है.

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