
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना की हकीकत सामने आने के बाद अफसरों के पैरों तले जमीन खिसक गई है. मामला ही कुछ ऐसा है. पीड़ित महिला ने पीएम आवास के ही चोरी हो जाने की शिकायत स्थानीय थाने में दर्ज कराई है.
पुलिस ने पीएम आवास के चोरी होने के साथ-साथ अफसरों के खिलाफ धारा 420 के तहत केस दर्ज करने के लिए कानूनी राय मांगी है.
बिलासपुर के पेंड्रा थाने में शिकायत करने पहुंची 65 साल की इस बुजुर्ग महिला का नाम फुलझरिया बाई भारिया है. यह आदिवासी महिला पेंड्रा जनपद पंचायत के अड़भार गांव में रहती है. फुलझरिया बाई ने अपने करीबी नाते रिश्तेदारों के साथ पेंड्रा थाने में पहुंच कर सबूत के साथ एक ऐसी शिकायत दर्ज कराई है, जिसे जानकर पुलिसकर्मी भी हैरत में पड़ गए हैं.
अनियमितताओं का खुलासा
फुलझरिया ने अपनी इस शिकायत में प्रधानमंत्री आवास योजना में हो रही अनियमितताओं का खुलासा भी किया है. दरअसल 2018-19 में प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत होने वाली सूची में आठवें नंबर पर फुलझरिया बाई का नाम दर्ज है. सरकारी दस्तावेजों में उनका आवास निर्माणाधीन है और निर्माण के लिए उन्हें चेक के जरिये दो किश्तों का भुगतान भी किया जा चुका है.कलेक्टर दफ्तर से जारी दो किश्तों में पहली किश्त 35 हजार रुपए और दूसरी 45 हजार रुपए की स्वीकृत हुई है. यह दोनों ही किश्त पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के जरिये फुलझरिया बाई के खाते में जमा भी हुई और निकाल भी ली गई, और तो और सरकारी रिकॉर्ड में फुलझरिया बाई के निर्माणाधीन मकान की तस्वीर भी चस्पा की गई है. जबकि हकीकत यह है कि फुलझरिया बाई का ना तो मकान बना है और ना ही उसे कोई चेक मिला है.
इसी मामले की शिकायत लेकर फुलझरिया बाई थाने पहुंची हैं. वो अपने चोरी हो चुके मकान की मांग कर रही हैं क्योंकि सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज पीएम आवास की तस्वीर पर उसका मालिकाना हक है.
निकाल लिया निर्माण रकम
उधर, पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू की तो उसके पैरों-तले जमीन खिसक गई है. जांच में पाया गया है कि जिस मकान को फुलझरिया बाई का पीएम आवास बताकर निर्माण की रकम निकाली गई. वह अडभार गांव की एक अन्य महिला उषा पाव का है. अफसरों ने पीएम आवास की रकम हड़पने के लिए सरकारी दस्तावेजों में फुलझरिया बाई के बजाय उषा पाव की तस्वीर भी लगाई है, लेकिन सभी दस्तावेजों में लाभार्थी का नाम फुलझरिया बाई दर्ज है. यही नहीं अफसरों ने पीएम आवास की दो किश्त बैंक से निकाले जाने को प्रमाणित भी किया है. उधर मामले की जांच में जुटी पुलिस ने आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिए कानूनी राय मांगी है.
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अडभार गांव में वित्तीय वर्ष 2018-19 की सूची में 72 आवास स्वीकृत हुए है. जबकि मौके पर 71 मकानों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई है. ऐसे में एक मकान के सुनियोजित रूप से गायब होने से पुलिस को भ्रष्टाचार की बू आ रही है. जबकि उसी गांव में फुलझरिया बाई अभी भी अपनी कच्ची झोपड़ी में रह रही हैं.