Advertisement

चेन्नई की आफत के लिए प्रकृति को मत कोसिए, गूगल अर्थ ने दिखाई हकीकत

चेन्नई को हमेशा मानसून के लिए तैयार बताया जाता रहा है, हालांकि इस बार निगम की ओर से की गई तैयारियां धरी रह गईं और जो हालात बने वह सबके सामने हैं.

ब्रजेश मिश्र
  • चेन्नई,
  • 03 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 12:19 PM IST

चेन्नई में भयंकर बारिश से बिगड़े हालात के लिए प्रकृति से ज्यादा वहां रहने वाले लोग ही जिम्मेदार हैं. इस बात का खुलासा गूगल अर्थ के जरिए सामने आई तस्वीरों से हुआ है.

चेन्नई को हमेशा मानसून के लिए तैयार बताया जाता रहा है, हालांकि इस बार निगम की ओर से की गई तैयारियां धरी रह गईं और जो हालात बने वह सबके सामने हैं. शहर में अनियमित विकास और निर्माण के चलते हालात बिगड़ गए.

Advertisement

गूगल अर्थ की तस्वीरों ने खोली पोल
गूगल अर्थ ले ली गई तस्वीरों में सामने आया है कि साल 2000 में जहां शहर में झील और तालाब थे वहां अब बड़ी संख्या में इमारतें खड़ी हो चुकी हैं. वेलाचेरी, पल्लीकारानेई और ओल्ड महाबलीपुरम की करीब 5500 हेक्टेयर जमीन पर कमर्शियल रियल एस्टेट का कब्जा हो चुका है.

इसके चलते बारिश का पानी कहीं जमा नहीं हो पाता और उसके लिए सिर्फ सड़कें ही बची हैं. अनियमित निर्माण की वजह से चेन्नई के कई इलाके आम बारिश में भी लबालब भर जाते हैं.

राज्य सरकार को सख्त होना पड़ेगा
तमिलनाडु की राजधानी में जिस तेजी से विकास चल रहा है उससे आगे चलकर भी हालात ऐसे ही रहने वाले हैं. ऐसी समस्या से आगे चलकर निपटने का एक ही उपाय है- निर्माण पर रोक लगाना. तेजी से हो रहे निर्माण ने न सिर्फ शहर को प्रदूषित किया है बल्कि जल निकासी में भी बाधा बनकर सामने आया है. इसके लिए राज्य सरकार को भी कड़े कदम उठाने होंगे.

Advertisement


Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement