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CRPF रिपोर्ट में दावा, लापरवाही का नतीजा था सुकमा हमला, बड़े अफसरों पर गिरेगी गाज?

रिपोर्ट को सच मानें तो हमले का शिकार हुए सीआरपीएफ जवानों ने ऐसे इलाकों के लिए बनाए गए नियमों यानी स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) का पालन नहीं किया. सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि जवान रोड़ ओपनिंग के लिए डेढ़-दो महीने से एक ही रास्ते का इस्तेमाल कर रहे थे.

सुकमा के शहीदों को श्रद्धांजलि देते सीएम रमन सिंह और गृहमंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो) सुकमा के शहीदों को श्रद्धांजलि देते सीएम रमन सिंह और गृहमंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • रायपुर/नई दिल्ली,
  • 26 मई 2017,
  • अपडेटेड 9:37 AM IST

क्या छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ जवानों पर हुआ हमला टाला जा सकता था? सीआरपीएफ ने हमले को लेकर गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट भेजी है, उससे कुछ ऐसे ही संकेत मिलते हैं.

महंगा पड़ा रास्ता ना बदलना
रिपोर्ट को सच मानें तो हमले का शिकार हुए सीआरपीएफ जवानों ने ऐसे इलाकों के लिए बनाए गए नियमों यानी स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) का पालन नहीं किया. सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि जवान रोड़ ओपनिंग के लिए डेढ़-दो महीने से एक ही रास्ते का इस्तेमाल कर रहे थे. जबकि नियमों के मुताबिक उनके लिए रास्ते का बदलना जरूरी था. नक्सली खबरी करीब 2 महीने तक सीआरपीएफ जवानों की मूवमेंट को इस रास्ते पर ट्रैक कर रहे थे. लिहाजा उन्हें जवानों की हर हरकत की खबर थी. इतना ही नहीं, नक्सलियों ने इसी रूट पर पहले भी 4 बार घात लगाई थी. इसके बावजूद सीआरपीएफ ने सबक नहीं लिया.

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स्थानीय लोगों की गतिविधियों को किया नजरअंदाज
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 24 अप्रैल को हुए हमले की पिछली रात स्थानीय गांव के लोग नाच-गाना करते रहे. लेकिन सुबह अचानक पूरा गांव खाली हो गया. इससे भी सीआरपीएफ को शक नहीं हुआ. रिपोर्ट में इसे ह्यूमन इंटेलिजेंस की नाकामी करार दिया गया है.

छुट्टी पर थे 55 जवान
रिपोर्ट मे कहा गया गया है कि जिस कैंप के जवान नक्सलियों का निशाना बने, उसके करीब 55 जवानों को एक साथ छुट्टी दी गई थी. ये भी एक भारी चूक साबित हुई क्योंकि हमले में फंसे जवानों को इसके चलते समय पर मदद पहुंचाने में दिक्कत हुई. हमले का शिकार हुई बटालियन की मदद के लिए सीआरपीएफ की दूसरी कंपनी मौके पर पहुंच ही नहीं पाई.

रिपोर्ट से खुश नहीं गृह मंत्रालय
सूत्रों के मुताबिक सीआरपीएफ की ये रिपोर्ट में निकाले गए नतीजों से केंद्रीय गृह मंत्रालय खुश नहीं है. रिपोर्ट की बिनाह पर कई बड़े अधिकारियों पर गाज गिरने का खतरा है. मंत्रालय ने सीआरपीएफ से कहा है कि वो इस हमले में हुई चूक को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट 30 दिन के भीतर जमा करे. नक्सली जोन के आईजी ये रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपेंगे.

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25 जवान हुए थे शहीद
आपको याद होगा 24 अप्रैल को बस्तर के सुकमा में करीब 300 नक्सलियों ने सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी को निशाना बनाया था. हमले में 25 जवान शहीद हुए थे. नक्सलियों के पास AK-47 जैसे हथियार थे. इन नक्सलियों के साथ महिला फाइटर भी थीं. नक्सलियों ने 12 मार्च को CRPF पर हमले के दौरान लूटे गए हथियारों का भी इस्तेमाल किया था.


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