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छत्तीसगढ़ः बेअसर रहा भारत बंद, कांग्रेस की कोशिश नाकाम

छत्तीसगढ़ में सुबह दलित संगठनों के कार्यकर्ताओं ने व्यापारियों से अपना कारोबार बंद रखने की अपील की. मगर उन्होंने प्रदर्शनकारियों की एक न सुनी और अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले रखे.

दलित प्रदर्शनकारी दलित प्रदर्शनकारी
सुनील नामदेव/वरुण शैलेश
  • रायपुर,
  • 02 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:06 PM IST

भारत बंद को लेकर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों का बंद समर्थकों को व्यापक समर्थन मिला है. इसके बावजूद बंद बेअसर रहा. दरअसल राज्य में व्यापारिक संगठनों और चैंबर ऑफ कॉमर्स के बंद का समर्थन न करने से जनजीवन पूरी तरह से सामान्य रहा. हालांकि प्रदर्शनकारियों ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989 में संशोधन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की.

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प्रदर्शनकारियों ने सबसे पहले रायपुर के बाहरी इलाके के पेट्रोल पंपों को बंद करने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए. मौके पर पुलिस बल ने मोर्चा संभाला और जोर जबरन बंद न कराने की हिदायत दी. नतीजतन नारेबाजी कर प्रदर्शनकारियों ने दूसरे इलाकों का रुख कर लिया.

जगदलपुर में मुख्य बाजार बंद कराने के लिए निकले प्रदर्शनकारियों और व्यापारियों के बीच बंद कराने को लेकर तीखी नोंकझोक हुई. यहां भी प्रदर्शनकारियों की दाल नहीं गली. धमतरी और महासमुंद जिले में हालात सामान्य रहे. सुबह दलित संगठनों के कार्यकर्ताओं ने व्यापारियों से अपना कारोबार बंद रखने की अपील की. मगर उन्होंने प्रदर्शनकारियों की एक न सुनी और अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले रखे.

चाम्पा जांजगीर और बलौदाबाजार जिले में बंद का आंशिक असर दिखाई दिया. यहां सिर्फ दलित कारोबारियों ने अपना व्यापार बंद रखा. उन्होंने एकजुटता दिखाई और तहसील कार्यालय और कलेक्टर दफ्तर के सामने प्रदर्शन कर एससी/एसटी एक्ट में संशोधन न किए जाने की मांग को लेकर एक ज्ञापन राजयपाल बी.ड़ी. टंडन के नाम सौंपा. इन इलाकों में दलित समुदाय ने रैली भी निकाली. शेष छत्तीसगढ़ पूरी तरह से सामान्य रहा. सुबह स्कुल कॉलेज समेत सभी शैक्षणिक संस्थान रोजाना की तरह खुले. स्कूली बसों समेत यात्री सेवाओं से जुड़े वाहन भी सड़कों पर रफ़्तार भरते रहे. कही से भी कोई अप्रिय वारदात की खबर नहीं आई है.

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छत्तीसगढ़ में चंद महीनों के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं. लिहाजा दलित आंदोलन को लेकर कांग्रेस ने राजनीति गर्माने की कोशिश की. शहरी इलाकों में बाइक रैली भी निकाली. कांग्रेसी कार्यकर्ता ने प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर बाजारों का रुख भी किया ताकि कारोबार बंद हो सके और बंद का व्यापक असर दिखाई दे. मगर पुलिस ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिए. भारत बंद के मद्देनजर शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक प्रशासन ने सुरक्षा का व्यापक इंतजाम किया हुआ था. सादी वर्दी के अलावा महत्वपूर्ण स्थलों पर भारी भरकम पुलिस बल तैनात किया गया था.

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