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वो हसीन ख्वाहिशें स्कूल में ही कहीं खो गईं...

अगर आप भी अापको आज भी याद है अपने स्‍कूल के दोस्‍तों के साथ की गई मस्‍ती तो जरूर पढ़ें...

School Girls School Girls
स्नेहा
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

9वीं पास करके 10वीं में आते ही हम 7 सहेलियों की दोस्ती और भी गहरी हो गई थी. स्कूल खत्म होने के बाद भी घंटों हम खेलते और बातें करते रहते थे. हर दिन यही सोचते थे कि जैसे ही 10वीं परीक्षा समाप्त होगी, हम अलग-अलग हो जाएंगे. हमारे इस ग्रुप से हमारे माता-पिता भी परेशान रहने लगे थे क्योंकि हम लोग एक दिन भी मिले बिना रह नहीं पाते थे. रविवार को भी स्पेशल क्लास के लिए स्कूल चले जाते थे और देर शाम तक ही घर वापस आते थे.

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धीरे-धीरे परीक्षा नजदीक आई और खत्म भी हो गई. हममें ज्यादातर लोगों ने पढ़ाई करने के लिए अलग-अलग शहर जाने का फैसला किया और उसके बाद आज सात साल बीत जाने पर भी हम कभी एक साथ इकट्ठे नहीं मिल पाए.

उनमें से कई सहेलियों की शादी भी हो गई. स्कूल में हम लोग अजीब सी बातें करते रहते थे कि सुनो हम लोग अलग न रहने पाए इसलिए ऐसे परिवार में शादी करेंगे जहां सात भाई हो. हमें एक जैसे ड्रेस चाहिए होते थे जो एक ही स्टाइल में सिले होने भी जरूरी थे. कोई भी त्‍यौहार हो या स्कूल का फंक्शन हर जगह सिर्फ हमारी ही धूम हुआ करती थी.

हमारे सपने उस समय गांव की गलियों से गुजरते हुए गांव तक ही पहुंचते थे. अब संचार के हर माध्यम हमारी जेब में रहते हैं. महीने दो महीने में अपनी सहेलियों से बातें भी हो जाया करती हैं लेकिन वो एक साथ जीना नहीं हो पाता. जब कभी गांव जाती हूं और अपने स्कूल की तरफ देखती हूं तो ऐसा लगता है जैसे नजरों के सामने सब कुछ वैसे का वैसा ही है. ऐसा लगता है जैसे कोई सहेली पीछे से कोई दौड़कर आएगी और जोर से मारते हुए कहेगी 'धप्पा'. लेकिन कल्पना कब तक हकीकत को दबा सकती है. हम उन खुशनुमा गलियों से बहुत दूर जा चुके हैं , अब यादें हैं जो अंतिम सांस तक साथ रहेंगी.

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आपके पास भी इससे जुड़ा कोई अनुभव है तो aajtak.education@gmail.com पर भेज सकते हैं, जिन्‍हें हम अपनी वेबसाइट www.aajtak.in/education पर साझा करेंगे.

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