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टेस्ट में फेल हुए 30 फीसदी आकाश मिसाइल, चीन बॉर्डर पर नहीं हो पा रही तैनाती

चीनी एयरफोर्स के लड़ाकू विमानों से लोहा लेने के लिए भारतीय वायुसेना को मिले आकाश मिसाइलों में से कम से कम 30 फीसदी शुरुआती जांच में फेल हो गए.

आकाश मिसाइल आकाश मिसाइल
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 8:33 AM IST

चीनी एयरफोर्स के लड़ाकू विमानों से लोहा लेने के लिए भारतीय वायुसेना को मिले आकाश मिसाइलों में से कम से कम 30 फीसदी शुरुआती जांच में फेल हो गए. नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट में इसके साथ ही कहा गया है कि किसी भी युद्ध जैसी स्थिति में आकाश मिसाइल का इस्तेमाल विश्वसनीय नहीं है और इसी कारण इन्हें पूर्वी सीमा पर तैनात ही नहीं किया गया.

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जमीन से हवा में मार करने वाले ये स्वदेशी मिसाइल भारत के 'चिकन नेक' कहलाने वाले सिलिगुड़ी कॉरिडोर सहित चीन सीमा से सटे छह अहम बेस पर लगने थे. कैग ने गुरुवार को संसद के समक्ष रखी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है, वर्ष 2013 से 2015 के बीच ही ये मिसाइल इन जगहों पर लगने थे, लेकिन अब तक कोई भी मिसाइल लगाया ही नहीं गया. खास बात यह है कि भारत और चीनी सेना के बीच डोकलाम में जिस जगह पर आमना-सामना हुआ है, वह सिलीगुड़ी कॉरिडोर से कुछ ही किमी दूर है.

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बेल) द्वारा बनाई गई, इन मिसाइलों की कुल लागत करीब 3900 करोड़ रुपये है, जिनमें से एयरफोर्स ने 3800 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया है.

पूर्वी सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब भारतीय वायु सेना को छह आकाश मिसाइल स्क्वाड्रन तैनात करना था.  चीन ने तिब्बत में आठ पूरी तरह चालू एयरबेस बना रखे हैं. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'बड़ा मसला यह है कि सेम्पल टेस्ट में 30  फीसदी तक फेल होना इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है. जबकि इसको आधार बनाते हुए ही 95 फीसदी भुगतान किया जा चुका है.'

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बदतर बात यह है कि सीएजी के मुताबिक कम से कम 70 मिसाइल की जीवन काल कम से कम 3 साल ऐसे ही इस वजह से बेकार हो गया, क्योंकि उनके स्टोरेज के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी. प्रत्येक आकाश मिसाइल की लागत करोड़ों में होती है. इसी वजह से 150 अन्य मिसाइल का जीवन काल दो से तीन साल और 40 मिसाइल का जीवन काल एक या दो साल कम हो चुका है. आकाश मिसाइल का जीवन काल 'मैन्युफैक्चरिंग डेट' से 10 साल तक होता है और उन्हें कुछ नियंत्रित दशाओं में संग्रह करना पड़ता है.

यूपीए सरकार ने साल 2010 में ही आकाश मिसाइल की सिलीगुड़ी कॉरिडोर में तैनाती को मंजूरी दे दी थी.

 

 

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