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विश्व पर शासन करने की ख्वाहिश पालने वाला चीन खुद ही अपना सबसे बड़ा दुश्मन बना हुआ है. लिहाजा उसका भी वही हाल होगा, जो सोवियत संघ का हुआ था यानी सोवियत संघ की तरह चीन भी ढह जाएगा.
चीन में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने ही इस बात का दावा किया है. चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के पोलितब्यूरो के सदस्य यांग शिआओडू ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में विफलता मिलती है, तो यह देश के लिए बेहद घातक साबित होगा.
शिआओडू को सेंट्रल कमीशन फॉर डिसिप्लिन इंस्पेक्शन के डिप्टी सेक्रेटरी से प्रोमोट करके पोलितब्यूरो का सदस्य बनाया गया है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान में शामिल देश के दूसरे नंबर के शीर्ष अधिकारी माने जाते हैं. मालूम हो कि पोलितब्यूरो के सदस्यों का देश की सत्ता में पूरा नियंत्रण होता है. इस दौरान शिआओडू ने पूर्ववर्ती सरकार की कड़ी आलोचना भी की.
उन्होंने कहा कि पिछले शासनकाल में भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ गया था कि सत्तारूढ़ पार्टी नेतृत्व कमजोर पड़ गया. इस दौरान निरीक्षण बेहद कमजोर रहा और विचारधारा बेपरवाह रही. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने भ्रष्टाचार को फूलने-फलने दिया. भ्रष्टाचार के खिलाफ नरमी बरती गई और कार्रवाई करने में उदासीनता दिखाई गई.
भ्रष्टाचार बदल देगा चीन का स्वरूप
चीन के सरकारी अखबार पीपुल्स डेली के संपादकीय लेख में शिआओडू ने कहा कि अगर चीन में भ्रष्टाचार को खत्म नहीं किया गया, तो देश का स्वरूप ही बदल जाएगा और यह बर्बाद हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर समय रहते भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगाया गया, तो भविष्य में सत्तारूढ़ पार्टी और देश के लोगों को सोवियत संघ और ईस्टर्न ब्लॉक की तरह तबाही देखने को मिलेगी. भ्रष्टाचार के चलते देश सोवियत संघ और ईस्टर्न ब्लॉक की तरह ढह जाएगा. मालूम हो कि 1990 के दशक के शुरुआत में सोवियत संघ का विघटन हो गया था.
सत्ता में पकड़ ढीली हुई, तो चीन भी बिखर सकता है
शिआओडू ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी अपने पूर्ववर्तियों की तरह यह मानते हैं कि अगर सत्ता पर पकड़ ढीली हुई, तो देश में उथल-पुथल मच सकती है और देश बिखर सकता है. यही कारण है कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी हमेशा अपने काडर से कहती है कि वो 1990 दशक के शुरुआत में सोवियत यूनियन के विघटन का अध्ययन करे.
चीन में जारी रहेगी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई
शिआओडू ने अपने संपादकीय में संकेत दिया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दाहिने हाथ माने जाने वाले वांग क्विशान की विदाई के बाद भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कमजोर नहीं होगी. पिछले महीने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी नेतृत्व में हुए बदलाव से पहले वांग क्विशान को चीन का दूसरा सबसे शक्तिशाली नेता माना जाता था. इस बदलाव के बाद उनको पिछले महीने ही एंटी-करप्शन के प्रमुख के पद से हटाया गया था.
चीन की सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर अब भी सफाई करना बाकी
शिआओडू से पहले शनिवार को एंटी-करप्शन के नए प्रमुख झाओ लेजी ने चीनी अखबार पीपुल्स डेली के संपादकीय में भ्रष्टाचार को लेकर इसी तरह का लेख लिखा था. लेजी को वांग क्विशान की जगह एंटी-करप्शन का नया प्रमुख बनाया गया है. शिआओडू ने अपने लेख में यह भी कहा कि शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में काफी उपलब्धि पाई है, लेकिन अभी पार्टी के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार की सफाई अब भी बाकी है. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह लड़ाई काफी गंभीर और जटिल है. इसको लगातार आक्रामक कार्रवाई के जरिए ही खत्म किया जा सकता है.