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चीन ने झुहाई में आयोजित एयरशो में अपनी ताकत से दुनिया को रूबरू करा दिया है. मंगलवार को पहली बार स्टील्थ लड़ाकू विमान चेंगदू जे-20 को पेश किया गया. इस दौरान विमान निर्माता और खरीदार भी बड़ी संख्या में मौजूद थे. चीन की नजर लड़ाकू के अलावा यात्री विमान के बढ़ते बाजार पर भी है.
प्रदर्शनी के दौरान जे-20 ने एक मिनट की फ्लाई-पास्ट की. चीन ने इन विमानों की ज्यादा तकनीकी जानकारी नहीं दी है, लेकिन जो सूचनाएं नेट पर हैं, उनमें बताया गया है कि उसके ये विमान लंबी यात्रा के अनुकूल और राडार से बच निकलने में सक्षम हैं.
यह विमान 2100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. 20 मीटर लंबे और साढ़े चार मीटर ऊंचे इस विमान के डैने 13 मीटर के हैं.
यह विमान 36000 किलोग्राम से ज्यादा वजन लेकर उड़ान भर सकता है. इसमें एक बार में 25 हजार पौंड ईंधन भरा जा सकता है. विमान में एक पायलट के बैठने की जगह है. इससे बड़ी दूरी की आकाश से आकाश में मार करने वाली मिसाइलें छोड़ी जा सकती हैं.
जे-20 विमान साल 2018 से चीनी सेना के बेड़े में शामिल हो जाएगा. कमर्शियल एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ऑफ चाइना ने अगले 20 वर्षों में विमान की मांग 40 हजार तक पहुंचने का अनुमान लगाया है. चीन एयरशो के जरिये दुनिया को सामरिक के अलावा तकनीकी क्षमता से भी रूबरू कराना चाहता है. भारत अभी तक ऐसे स्टील्थ विमान नहीं बना पाया है जो दुश्मन के राडार को चकमा दे सके जबकि पाकिस्तान की जे-20 जैसे विमान खरीदने के लिए चीन से बातचीत चल रही है.
रक्षा विश्लेषकों का अनुमान है कि चीन ने हवाई प्रदर्शन के नाम पर अमेरिका को संदेश दिया है कि उसके ये विमान अमेरिका के एफ-22 और एफ-35 का जवाब हैं. अमेरिका के ये विमान जल्द ही प्रशांत महासागर और जापान में तैनात होने वाले हैं.
फाइटर प्लेन के निर्माण में पश्चिमी देशों पर निर्भरता खत्म करने के लिए चीन ने डिफेंस रिसर्च में काफी बढ़त हासिल कर ली है. मंगलवार को उसने पहली बार खुद के द्वारा निर्मित फाइटर प्लेन जे-20 का हवाई प्रदर्शन करके दुनिया को यह दिखाने की कोशिश की कि वह इस दिशा में भी आगे है.
प्रदर्शनी के लिए 5 साल बाद उड़ाए जे-20 प्लेन
एक खबर यह भी है कि ये विमान साल 2011 में भी उड़ान भर चुके हैं, लेकिन आम लोगों को उनकी उड़ान नहीं दिखाई गई थी. जे-20 विमानों की ये उड़ानें हांग-कांग से 56 किलोमीटर दूर झुहाई में 'चाइना इंटरनेशनल एविएशन एंड एयरोस्पेस' प्रदर्शनी का हिस्सा थीं. हालांकि इससे पहले भी चीन दो वर्षों के अंतराल पर होने वाली इस प्रदर्शनी में अपने मिलिट्री हार्डवेयर का प्रदर्शन करता रहा है. वर्ष 2014 में उसने जे-31 फाइटर का प्रदर्शन किया था.
अमेरिका से डिजाइन चोरी!
सोशल मीडिया पर आरोप लगाए गए हैं कि चीन ने अमेरिका के एफ-35 विमानों की डिजाइन चोरी की है या करवाई है. एक यह फोटो जारी हुआ है,
जिसमें चीन के जे-31 की तस्वीर को जे-35 की तस्वीर के साथ लगाकर दिखाया गया है.
गौरतलब कि चीन का यह लड़ाकू विमान अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित एफ-35 की तरह लगता है. रक्षा विशेषज्ञों ने इसे चीन की लंबी छलांग करार दिया है. कुछ विशेषज्ञों ने विमान की स्टील्थ क्षमता (रडार की पकड़ में न आना) पर भी सवाल उठाए हैं.
दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में बढ़ते तनाव को देखते हुए बीजिंग के इस कदम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. स्टील्थ विमान विकसित कर चीन, अमेरिका के साथ रक्षा संसाधन अंतर को कम करना चाहता है.
विशेषज्ञों की राय में चीन को अमेरिका की कतार में लाना फिलहाल जल्दबाजी होगी. विमानों के लिए चीन अगले दशक में अमेरिका से ज्यादा बड़ा बाजार हो जाएगा.