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चीन की भारत समेत पूरी दुनिया को खुली धमकी, कहा- दलाई लामा से मुलाकात गंभीर अपराध

चीन ने कहा कि किसी भी देश या किसी भी संगठन का दलाई लामा से मिलने का न्यौता स्वीकार करना हमारी नजर में चीनी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला एक गंभीर अपराध होगा. ऐसा करना चीन सरकार को वैध मानने की प्रतिबद्धता का उल्लंघन भी माना जाएगा.

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और दलाई लामा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और दलाई लामा
राम कृष्ण
  • बीजिंग,
  • 22 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 7:32 AM IST

चीन ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को लेकर भारत समेत दुनिया भर को धमकी दी है. चीन ने पूरी दुनिया के नेताओं और सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात करने को एक गंभीर अपराध समझा जाएगा. यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने दलाई लामा को लेकर कड़ा विरोध जताया है, वो इससे पहले भी कई बार अपनी गीदड़ भभकी दिखा चुका है. चीन हमेशा से आरोप लगाता रहा है कि दलाई लामा तिब्बत को उससे अलग करने की कोशिश कर रहे हैं.

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चीन का कहना है कि उससे कूटनीतिक संबंध बाने के लिए विदेशी सरकारों को तिब्बत को चीन का हिस्सा मानना होगा. चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन (CPC) के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट के कार्यकारी उपाध्यक्ष झांग यीजियोंग ने कहा कि किसी भी देश या किसी भी संगठन का दलाई लामा से मिलने का न्यौता स्वीकार करना हमारी नजर में चीनी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला एक गंभीर अपराध होगा. ऐसा करना चीन सरकार को वैध मानने की प्रतिबद्धता का उल्लंघन भी माना जाएगा.

झांग ने कहा कि चीन दूसरे देशों और नेताओं के 82 वर्षीय दलाई लामा से एक धार्मिक नेता के तौर पर मिलने के किसी भी तर्क कोस्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने कहा, 'मैं यह साफ करना चाहता हूं कि 14वें दलाई लामा धर्म की आड़ में एक राजनीतिक हस्ती हैं.' उन्होंने भारत का नाम लिए बिना कहा कि दलाई लामा साल 1959 में अपनी मातृभूमि को धोखा देकर दूसरे देश (भारत) भाग गए और निर्वासन में अपनी तथाकथित सरकार स्थापित की.

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दरअसल, साल 1959 से दलाई लामा भारत में निर्वासन में रह रहे हैं और हिमाचल के धर्मशाला में निर्वासित तिब्बत सरकार भी है. इस साल दलाई लामा को भारत के अरूणाचल प्रदेश समेत उत्तर-पूर्व के कई हिस्सों में दौरे की अनुमति देने का भी चीन ने कड़ा विरोध किया था. हालांकि भारत ने चीन के विरोध की तनिक भी परवाह नहीं की. इतना ही नहीं, चीन दलाई लामा को लेकर काफी लंबे अरसे से भारत पर दबाव बना रहा है. भारत में सरकारें बदलीं, लेकिन दलाई लामा के प्रति सभी का रुख एक जैसा रहा.

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