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चीन में बना नया प्लान, हजार किलोमीटर लंबी सुरंग से रोकेगा ब्रह्मपुत्र का पानी

जानकारी के मुताबिक इंजीनियरों ने अपना प्लान इसी साल मार्च में चीनी सरकार को सौंपा था, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से इसे मंजूरी नहीं मिली है.

चीनी इंजीनियर्स ने सरकार को सौंपा प्लान चीनी इंजीनियर्स ने सरकार को सौंपा प्लान
अनंत कृष्णन
  • बीजिंग ,
  • 30 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 8:50 PM IST

ब्रह्मपुत्र को लेकर चीन ने नया प्लान तैयार किया है. चीनी इंजीनियरों ने ब्रह्मपुत्र का पानी डायवर्ट करने के लिए 1000 किलो मीटर लंबी टनल बनाने की योजना तैयार की है. इस टनल के जरिए ब्रह्मपुत्र का पानी तिब्बत से जिनजियांग की तरफ मोड़ने की योजना है. 

हांगकांग के अखबार 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' ने खबर दी है कि इस कदम से 'शिनजियांग के कैलीफोर्निया में तब्दील होने' की उम्मीद है. इस कदम से पर्यावरणविदों में चिंता पैदा हो गई है क्योंकि इसका हिमालयी क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

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यह प्रस्तावित सुरंग चीन के सबसे बड़े प्रशासनिक क्षेत्र को पानी मुहैया कराने का काम करेगी. दक्षिणी तिब्बत की यारलुंग सांगपो नदी के जलप्रवाह को शिनजियांग के ताकालाकान रेगिस्तान की तरफ मोड़ा जाएगा. ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की ओर से कई बांध बनाए जाने को लेकर भारत बीजिंग को अपनी चिंताओं से अवगत करा चुका है.

अगर चीनी इंजीनियरों का यह प्लान मंजूर कर लिया जाता है तो यह भारत और बांग्लादेश दोनों को प्रभावित करेगा. जानकारी के मुताबिक इंजीनियरों ने अपना प्लान इसी साल मार्च में चीनी सरकार को सौंपा था, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से इसे मंजूरी नहीं मिली है.

टनल निर्माण की ड्राफ्टिंग कमेटी में शामिल रहे वांग वी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में एक किलोमीटर पर एक बिलियन युआन का खर्च आएगा. यानी पूरे टनल को बनाने में कुल 1 ट्रिलियन युआन खर्च होगा, जो कि चीन के मशहूर तीन जॉर्जेस बांध की लागत के बराबर होगा.

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हालांकि, ये भी बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर अभी पर्यावरण की दृष्टि से कोई आंकलन नहीं किया गया है. साथ ही इसके असर को भी अभी नहीं आंका गया है. एक अन्य चीनी रिसर्चर के मुताबिक , चीन एक दिन जरूर ये प्रोजेक्ट बनाएगा. विशेषज्ञों के मुताबिक, 5-10 साल में प्रोजेक्ट निर्माण के लिए तकनीक तैयार हो जाएगाी, जिसके बाद इस पर खर्च भी कम आएगा.

भारत-बांग्लादेश पर होगा व्यापक असर

चीनी सरकार अगर इस टनल निर्माण को मंजूरी दे देती है तो भारत और बांग्लादेश पर इसका व्यापस असर होने की आशंका जताई जा रही है. भारत इससे पहले 2010 में तिब्बत के जैंग्मू में बनाए गए बांध पर भी चिंता जाहिर कर चुका है. बावजूद इसके चीन जैंग्मू बांध के बाद तीन और डैम को ग्रीन सिग्नल दे चुका है. हालांकि, जिस नए प्रोजेक्ट का रोडमैप चीनी इंजीनियरों ने अपनी सरकार को सौंपा है, अगर वह बन जाता है तो भारत के लिए ज्यादा खतरा पैदा हो सकता है.

चीनी रिसर्चर वांग वी ने हालांकि इसके उलट जवाब दिया है. उनका मानना है कि भारत-बांग्लादेश इस प्रोजेक्ट को लेकर विरोध जाहिर करेंगे लेकिन ये भी सच है कि विशाल बांध होने के बावजूद ये टनल किसी दूसरे देश या पर्यावरण को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा.

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