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भारत के विरोध के बावजूद चीन की जुर्रत, अब PoK में घुसी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी

भारतीय सेना ने उत्तर कश्मीर के नौगांव सेक्टर के सामने स्थित अग्रिम चौकियों पर पीएलए के सीनियर अफसरों को देखा है.

चीन की रणनीति को समझने की जरूरत है चीन की रणनीति को समझने की जरूरत है
केशव कुमार/BHASHA
  • श्रीनगर,
  • 13 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 6:58 PM IST

श्रीनगर-लद्दाख इलाके में लगातार चीनी सेना की घुसपैठ की घटनाओं के बाद पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों को अब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नियंत्रण रेखा की चौकियों पर देखा गया है. उन्हे देखने के बाद से सुरक्षा बल चौकन्ने हो गए हैं. जानकारी के मुताबिक सेना ने उत्तर कश्मीर के नौगांव सेक्टर के सामने स्थित अग्रिम चौकियों पर पीएलए के सीनियर अफसरों को देखा है.

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सामने आई पाकिस्तानी सैन्य अफसरों की बातचीत
साथ ही पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों के कुछ बातचीत सामने आई हैं. इनसे पता चलता है कि चीनी सैनिक नियंत्रण रेखा से लगे इलाकों में कुछ निर्माण कार्य करने आए हैं. सेना ने इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से पूरी तरह चुप्पी साधी रखी है, लेकिन वह विभिन्न खुफिया एजेंसियों को नियंत्रण रेखा पर पीएलए सैनिकों की मौजूदगी की लगातार सूचनाएं दे रही है. पिछले साल के आखिर में पीएलए सैनिकों को पहली बार देखा गया था और तब से तंगधार सेक्टर के सामने भी उनकी मौजूदगी देखी गई है.

किशनगंगा विद्युत परियोजना के जवाब की तैयारी
इस इलाके में चीनी सरकार के स्वामित्व वाली चाइना गेझौबा ग्रुप कंपनी लिमिटेड 970 मेगवाट की झेलम-नीलम पनबिजली परियोजना का निर्माण कर रही है. यह पनबिजली परियोजना उत्तर कश्मीर के बांदीपोरा में भारत की ओर से बनाई जा रही किशनगंगा विद्युत परियोजना के जवाब में बनाई जा रही है. किशनगंगा परियोजना 2007 में शुरू हुई थी और इस साल इसके पूरे होने की उम्मीद है.

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हर मौसम सड़क के लिए सुरंग मार्ग
पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों की बातचीत में यह भी पता चला कि चीनी सेना पीओके में स्थित लीपा घाटी में कुछ सुरंगें खोदने का काम करेगी. ये सुरंगें हर मौसम में चालू रहने वाली एक सड़क के निर्माण के लिए खोदी जाएंगी. यह सड़क काराकोरम राजमार्ग जाने के एक वैकल्पिक रास्ते के तौर पर काम करेगी.

चीन के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में निर्माण कार्य
पीएलए अधिकारियों के दौरे को कुछ विशेषज्ञ 46 अरब डॉलर की लागत से चीन की ओर से बनाए जा रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के हिस्से के तौर पर देख रहे हैं. इसके तहत कराची के ग्वादर बंदरगाह को काराकोरम राजमार्ग के रास्ते चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ा जाएगा. कारोकोरम राजमार्ग चीन के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में आता है.

विरोध जता चुका है भारत
भारत ने पिछले साल गिलगिट और बल्टिस्तान में चीनी सैनिकों की मौजूदगी को अस्वीकार्य बताते हुए विरोध दर्ज कराया था. यह क्षेत्र पीओके में आता है. देश के सुरक्षा हलकों के कुछ विशेषज्ञ पीओके में पीएलए की मौजूदगी को लेकर गंभीर चिंता जताते आए हैं. चीनी अधिकारियों ने कई बार कहा है कि सीपीईसी यूरेशिया से एशिया को जोडने वाला एक आर्थिक पैकेज है.

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चीन की रणनीति को समझने की जरूरत
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में चीनी अध्ययन विभाग के प्रोफेसर श्रीकांत कोडपल्ली को लगता है कि पीएलए की बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए चिंता का विषय है. कोडपल्ली चीन को लेकर भारत की नीति से संबंधित एक थिंक टैंक का हिस्सा रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हमें पता है कि चीन पीओके में एक स्थानीय नाम से पीएलए की तीन डिवीजनों का विकास करने जा रहा है, जो कब्जे वाले कश्मीर में चीनी हितों की रक्षा करेंगे. लोगों को चीन की रणनीति को समझने की जरूरत है.'

पीओके से आ रही चौंकाने वाली खबर
पीओके से आ रही खबरों से पता चला है कि पीएलए एक स्थानीय नाम के तहत पीओके में एक सुरक्षा शाखा की स्थापना करेगा. इन तीन नए डिवीजनों में करीब 30 हजार कर्मी होंगे, जिन्हें चीनी कंपनियों की ओर से बनाए गए प्रतिष्ठानों में और उसके पास तैनात किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस तरह चीन कश्मीर के उत्तरी हिस्से में नियंत्रण रेखा पर अपनी मौजूदगी को सही ठहराने की कोशिश कर सकता है.

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