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पंजाब-केरल के बाद CAB पर MP-छत्तीसगढ़ में संकट! CM बोले- मानेंगे पार्टी आलाकमान की बात

पंजाब-केरल के बाद कई और गैर-बीजेपी शासित राज्यों से इसके खिलाफ आवाज़ उठी है. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नेताओं ने बयान दिया है कि वह केंद्रीय आलाकमान की नीति पर ही चलेंगे.

नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहा है प्रदर्शन (फोटो: PTI) नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहा है प्रदर्शन (फोटो: PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:07 PM IST

  • नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ कांग्रेस शासित प्रदेश
  • पंजाब-केरल के बाद अब MP-छत्तीसगढ़ सीएम ने किया विरोध
  • कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की बात मानने का ऐलान

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कई राज्य सरकारों ने मोर्चा खोल लिया है. पंजाब-केरल के बाद कई और गैर-बीजेपी शासित राज्यों से इसके खिलाफ आवाज़ उठी है. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नेताओं ने बयान दिया है कि वह केंद्रीय आलाकमान की नीति पर ही चलेंगे. गुरुवार को पंजाब-केरल के सीएम ने अपने राज्य में नागरिकता कानून लागू नहीं करने की बात कही था.

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शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन कानून पर उनका स्टैंड केंद्रीय आलाकमान से अलग नहीं होगा. जो उनका पक्ष है, वही हमारा भी पक्ष है.’ उनके अलावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कहा कि कांग्रेस पार्टी जो भी फैसला लेगी राज्य भी उसी के आधार पर आगे बढ़ेगा.

महाराष्ट्र में कांग्रेस के कोटे से उद्धव सरकार में मंत्री बालासाहेब थोराट ने भी कहा कि जो भी केंद्रीय लीडरशिप फैसला लेगी, वह राज्य में उसी आधार पर आगे बढ़ेंगे. हालांकि, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से अभी तक इसपर कोई बयान नहीं आया है.

गुरुवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐलान किया था कि उनके राज्य में नागरिकता संशोधन एक्ट लागू नहीं किया जाएगा. इससे पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी ऐलान कर चुकी हैं कि वह अपने राज्य में इस कानून को लागू नहीं होने देंगी.

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अब तक 6 राज्यों से उठी है आवाज

अभी तक केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और बंगाल इस कानून को लागू ना करने की बात कह चुके हैं. हालांकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि नागरिकता से जुड़ा पूरा अधिकार केंद्र सरकार के अंतर्गत ही आता है.

गौरतलब है कि शुरुआत से ही कांग्रेस पार्टी इस कानून का उल्लंघन कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि ये बिल संविधान का उल्लंघन करता है और भारत के मूल विचारों के खिलाफ है. राज्यसभा-लोकसभा में भी कांग्रेस ने बिल के विरोध में मतदान किया था.

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