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केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन एअर इंडिया को खस्ता हाल से उबारने के लिए विनिवेश का फैसला लिया था, लेकिन अब इसकी सही कीमत नहीं मिल रही है. ऐसे में सरकार इसको कैंसिल कर सकती है. शीर्ष नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अगर एअर इंडिया के लिए वाजिब बोली लगाने वाले नहीं मिलते हैं, तो सरकार इस प्रक्रिया को रद्द कर सकती है.
सरकार ने एअर इंडिया के लिए बोली लगाने की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 31 मई तक कर दिया है. एअर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगाने वालों की शॉर्टलिस्ट को 14 जून तक जारी कर दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि सरकार इस साल के आखिरी तक एअर इंडिया की नीलामी की प्रक्रिया को पूरा करना चाहती है.
एअर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने में औपचारिक रूप से दिलचस्पी दिखाने वाली एक मात्र एअरलाइन इंडिगो ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. वो भी अब इसमें अपनी दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि सरकार को एअर इंडिया और इसकी दो सब्सिडरी AISAT और AIXL की नीलामी के लिए बिडर्स को आकर्षित करने में अभी तक सफलता नहीं मिली है.
इसके बावजूद सरकार को उम्मीद है कि वह इस नीलामी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दे सकेगी, क्योंकि जब से सरकार ने एअर इंडिया की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की है, तब से अब तक 160 निवेशकों के आवेदन प्राप्त हो चुके हैं. अब यह तो वक्त ही बताएगा कि सरकार एअर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने में कितनी कामयाब होती है.
इसके अलावा मंगलवार को नागर विमानन सचिव आरएन चौबे ने भी कहा कि यदि एअर इंडिया के लिए उचित कीमत नहीं मिलती है, तो सरकार शायद इसे नहीं बेचेगी. सरकार के पास यह अधिकार है कि वह एअर इंडिया को बेचे या नहीं बेचे. हालांकि चौबे ने विश्वास जताया कि एअर इंडिया के लिए अच्छी कीमत मिलेगी.
मालू्म हो कि जून 2017 को सरकार ने एअर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी थी. केंद्र सरकार ने कहा था कि एअर इंडिया के विनिवेश के लिए बोली लगाई जाएगी. इसके लिए सरकार ने बाकायदा अर्नेस्ट एंड यंग को ट्रांजैक्शन एडवायजर के तौर पर नियुक्त किया है.
पिछले साल जून में इसकी सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद से सरकार इस दिशा में प्रयासरत थी. इस नीलामी में एअर इंडिया की सब्सिडरी AISAT और AIXL की भी 50 फीसदी हिस्सेदारी शामिल होगी. एअर इंडिया का रणनीतिक विनिवेश शीर्ष मैनेजमेंट के ट्रांसफर के जरिए किया जाएगा. इसके अलावा भारत सरकार के हिस्से के 76 फीसदी इक्विटी शेयर बेचे जाएंगे.
मालूम हो कि केंद्र सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद से ही एअर इंडिया को बेचे जाने की कवायद चल रही थी. इससे पहले इसी साल जनवरी में सरकारी विमानन कंपनी एअर इंडिया में एफडीआई को मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने एअर इंडिया को बेचने की योजना तैयार कर ली थी. प्रस्तावित मसौदे के तहत कंपनी को चार भागों में बांटे जाने का प्रस्ताव रखा गया था.