
केंद्र की मोदी सरकार को सत्ता में चार साल पूरा होने वाले हैं. अभी तक अपने कार्यकाल में मोदी सरकार ने आर्थिक मोर्च पर बड़े रिफॉर्म वाले फैसले लिए हैं. नोएडा, मुंबई, कोलकाता और हैदराबाद के सरकारी टकसालों में सिक्कों का प्रोडक्शन बंद हो गया है.
आपको बता दें कि भारत सरकार की ओर से इन चारों जगह पर ही सिक्के बनाए जाते हैं. आरबीआई के अधिकारियों ने जानकारी दी कि मंगलवार से ही सिक्के बनाने का काम बंद हो गया है.
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इसी के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि नोटबंदी के बाद काफी संख्या में सिक्के बनाए गए थे. जो कि अभी तक आरबीआई के स्टोर में काफी संख्या में उपलब्ध हैं. एक नोटिस की मानें, तो आठ जनवरी तक 2500 MPCS सिक्कों का स्टोरेज है, इसी कारण आरबीआई के अगले आदेश तक सिक्कों का प्रोडक्शन रोक दिया गया है.
नोटबंदी का बही-खाता: आखिर इस पूरी कवायद से किसे क्या हासिल हुआ?
आपको बता दें कि मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को देश में नोटबंदी का फैसला लागू किया था. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक देर शाम पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को गैर-कानूनी करार दिया था. इस फैसले के पीछे केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार और काला धन को खत्म करने का तर्क दिया था. नोटबंदी लागू होने के बाद देश में काफी दिनों तक अफरातफरी जैसा माहौल रहा था.
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500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने के बाद मोदी सरकार की ओर से 2000 और 500 रुपये के नए नोट भी जारी किए गए थे. विपक्षी पार्टियों ने नोटबंदी को भारत सरकार का एक विफल फैसला बताया था. नोटबंदी के फैसले से देश में एक साथ करीब 85 फीसदी करेंसी रद्द कर दी गई थी.