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गुजरात सरकार नहीं करेगी धार्मिक स्थलों के नुकसान की भरपाई, SC से राहत

गौरतलब है कि गुजरात में 2002 में हुए दंगों में कई धार्मिक इमारतों को भी नुकसान पहुंचाया गया था. इसको लेकर हाई कोर्ट ने राज्‍य सरकार को नुकसान की भरपाई का आदेश दिया. लेकिन हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
रणविजय सिंह/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 10:21 PM IST

गुजरात दंगों में धार्मिक इमारतों को हुए नुकसान की भरपाई गुजरात सरकार को नहीं करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस्‍लामिक रिलीफ सेंटर गुजरात की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, इस याचिका का कोई आधार नहीं है. बता दें, गुजरात की हाई कोर्ट ने 2012 में राज्य सरकार को धार्मिक स्थलों के नुकसान की भरपाई का आदेश दिया था.

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गौरतलब है कि गुजरात में 2002 में हुए दंगों में कई धार्मिक इमारतों को भी नुकसान पहुंचाया गया था. इसको लेकर हाई कोर्ट ने राज्‍य सरकार को नुकसान की भरपाई का आदेश दिया. लेकिन हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.

इसके बाद इस्लामिक रिलीफ सेंटर गुजरात ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया. SC का कहना था कि, इस याचिका का कोई आधार नहीं है.

गुजरात दंगा : कब-क्‍या हुआ?

27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में 59 लोगों की आग में जलकर मौत हो गई. ये सभी 'कारसेवक' थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे.

27 फरवरी की सुबह जैसे ही साबरमती एक्सप्रेस गोधरा रेलवे स्टेशन के पास पहुंची, उसके एक कोच से आग की लपटें उठने लगीं और धुएं का गुबार निकलने लगा. साबरमती ट्रेन के S-6 कोच के अंदर भीषण आग लगी थी. जिससे कोच में मौजूद यात्री उसकी चपेट में आ गए. इनमें से ज्यादातर वो कारसेवक थे, जो राम मंदिर आंदोलन के तहत अयोध्या में एक कार्यक्रम से लौट रहे थे. आग से झुलसकर 59 कारसेवकों की मौत हो गई. जिसने इस घटना को बड़ा राजनीतिक रूप दे दिया गया.  

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शाम में मोदी ने बुलाई बैठक

जिस वक्त ये हादसा हुआ, नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इस घटना को एक साजिश के तौर पर देखा गया. घटना के बाद शाम में ही मोदी ने बैठक बुलाई. बैठक को लेकर तमाम सवाल उठे. आरोप लगे कि बैठक में 'क्रिया की प्रतिक्रिया' होने की बात सामने आई.

ट्रेन की आग को साजिश माना गया. ट्रेन में भीड़ द्वारा पेट्रोल डालकर आग लगाने की बात गोधरा कांड की जांच कर रहे नानवती आयोग ने भी मानी. मगर, गोधरा कांड के अगले ही दिन मामला अशांत हो गया. 28 फरवरी को गोधरा से कारसेवकों के शव खुले ट्रक में अहमदाबाद लाए गए. ये घटना भी चर्चा का विषय बनी. इन शवों को परिजनों के बजाय विश्व हिंदू परिषद को सौंपा गया. जल्दी ही गोधरा ट्रेन की इस घटना ने गुजरात में दंगों का रूप ले लिया. ये दंगे राज्य के सभी 26 जिलों में फैल गए. इस्‍लामिक रिलीफ सेंटर गुजरात का दावा है कि इन दंगों में लगभग 500 धार्मिक स्‍थलों को नुकसान पहुंचाया गया.

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