
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह गुरुवार 16 मार्च को सुबह 10 बजे चंडीगढ़ के पंजाब राजभवन में पंजाब के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. कैप्टन अमरिंदर सिंह के शपथ ग्रहण का ये कार्यक्रम बहुत ही सादा रखने की तैयारी है. दरअसल कैप्टन अमरिंदर सिंह जनता के बीच ये संदेश देना चाहते हैं की कांग्रेस सरकार किसी भी तरह की फिजूलखर्ची नहीं होने देगी, साथ ही पहले से ही भारी घाटे में चल रही पंजाब सरकार के पास पैसे की कमी है और इसी वजह से इस सरकार के कार्यकाल में फिजूलखर्ची को रोका जाएगा.
पारिवारिक तौर पर भी कैप्टन अमरिंदर सिंह परेशान चल रहे हैं. उनकी माता महेंद्र कौर चंडीगढ़ के PGI में भर्ती हैं और शपथ ग्रहण समारोह को बिल्कुल सादा रखने की के पीछे एक वजह ये भी मानी जा रही है. हालांकि शपथ ग्रहण समारोह में उन छह राज्यों के मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे, जहां पर फिलहाल कांग्रेस की सरकार है. इसके अलावा कांग्रेस आलाकमान के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी शपथ ग्रहण में शामिल होंगे.
कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ 10 मंत्रियों के शपथ लेने की जानकारी मिल रही है. पंजाब सरकार में ये होंगे चेहरे-
कैबिनेट मंत्री
ब्रह्म महिंद्रा- पटियाला देहाती सीट से ब्रह्म महिंद्रा लगातार छठी बार विधायक चुने गए हैं. पंजाब के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं में महिंद्रा की गिनती होती है. बेअंत सिंह की सरकार के वक्त ब्रह्म महिंद्रा उद्योग मंत्री रह चुके हैं जबकि 2002 से लेकर 2007 के बीच कैप्टन सरकार के वक्त वह कई बोर्डों के चेयरमैन भी रह चुके हैं.
नवजोत सिंह सिद्धू- विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में शामिल हुए और चुनाव के आखिरी 15 दिनों में कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू का बतौर स्टार प्रचारक पूरे पंजाब में इस्तेमाल किया. पार्टी में शामिल होते हुए कहा गया था कि सिद्धू बिना किसी शर्त के कांग्रेस में शामिल हुए हैं लेकिन पंजाब के वरिष्ठ नेता होने के कारण उनका कैबिनेट मंत्री बनना तय है. हालांकि सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी कैबिनेट में डिप्टी सीएम का पद नहीं चाहते हैं, जबकि नवजोत सिंह सिद्धू ने राहुल गांधी और कांग्रेस आलाकमान के सामने मंशा जाहिर की है कि वो कांग्रेस सरकार में डिप्टी सीएम बनना चाहते हैं. इस को लेकर क्या फैसला लिया जाता है, ये शपथ ग्रहण से पहले अंतिम पलों में ही साफ हो पाएगा. नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर ईस्ट सीट से विधायक बने हैं. इस सीट पर पहले उनकी पत्नी नवजोत कौर विधायक रह चुकी हैं.
मनप्रीत बादल- मनप्रीत बादल ने पंजाब विधानसभा चुनावों से लगभग 6 महीने पहले अपनी पार्टी पीपल्स पार्टी ऑफ पंजाब (PPP) का विलय कांग्रेस में कर दिया था. मनप्रीत बादल बठिंडा शहरी सीट से जीते हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली में पहले ही ऐलान किया था कि सरकार बनने पर मनप्रीत बादल को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जाएगी. इससे पहले बादल सरकार में भी मनप्रीत बादल वित्त मंत्री रह चुके हैं.
साधू सिंह धर्मसोत- दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले साधू सिंह धर्मसोत लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेहद नजदीकी माने जाते हैं और बड़े दलित नेता होने के नाते मंत्रिमंडल में उनका नाम भी तय माना जा रहा है.
राणा गुरजीत सिंह- कपूरथला से जीत कर आए राणा गुरजीत सिंह लगातार विधायक चुने जाते रहे हैं. वो जालंधर संसदीय सीट से सांसद भी रह चुके हैं. इस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह के नजदीकी कांग्रेसियों में राणा गुरजीत सिंह का नाम सबसे आगे है. राणा गुरजीत सिंह लगातार कैप्टन कैंप से ही जुड़े रहे हैं और वरिष्ठता के आधार पर भी उनको मंत्री पद मिलना तय है.
तृप्त राजेंद्र बाजवा- बाजवा लगातार पांचवीं बार जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. फतेहगढ़ चूड़ियां विधानसभा क्षेत्र से जीतते आ रहे हैं और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नजदीकी माने जाते हैं.
चरणजीत सिंह चन्नी- दलित समुदाय से आते हैं और पिछली विधानसभा में पंजाब कांग्रेस विधायक दल के नेता रह चुके हैं. चन्नी एक बार निर्दलीय विधायक के तौर पर भी जीत चुके हैं, जबकि लगातार दूसरी बार वो कांग्रेस के टिकट पर चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं. चमकौर साहिब विधानसभा से चरणजीत चन्नी लगातार तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं.
राज्य मंत्री
रजिया सुल्ताना- 2002 में कैप्टन सरकार के वक्त भी रजिया सुल्ताना मुख्य संसदीय सचिव रह चुकी हैं. मुस्लिम समुदाय से पंजाब कांग्रेस की एकमात्र बड़ी नेता हैं. महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी करती हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह के नजदीकी IPS अफसर मोहम्मद मुस्तफा की पत्नी हैं. कैप्टन सरकार में बतौर पंजाब पुलिस DGP भी मोहम्मद मुस्तफा का नाम पंजाब पुलिस के अफसरों में सबसे आगे चल रहा है.
अरुणा चौधरी- दलित समुदाय से संबंध रखती हैं. महिला कोटे से उनका मंत्रिमंडल में आना तय है, लगातार तीसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंची हैं. दीनानगर विधानसभा क्षेत्र से जीती हैं.
ओपी सोनी- अमृतसर सेंट्रल सीट से लगातार चुनाव जीतते आ रहे ओपी सोनी हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और लगातार चौथी बार विधायक चुने गए हैं. ओपी सोनी अमृतसर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं, लेकिन उस वक्त वो नवजोत सिंह सिद्धू से चुनाव हार गए थे.
राकेश पांडे- लुधियाना ईस्ट सीट से राकेश पांडे लगातार छठी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं. हिंदू चेहरा होने के नाते भी उन्हें पंजाब सरकार कैबिनेट में मंत्री पद मिलने की संभावना काफी प्रबल है. इससे पहले भी कांग्रेस सरकार के समय 2002 में वो मंत्री रह चुके हैं. उनके पिता जोगेंद्र पाल पांडे भी कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
स्पीकर
राणा केपी सिंह- कांग्रेस के हिंदू नेता राणा केपी सिंह भी तीसरी बार विधायक बने हैं. वरिष्ठता के आधार पर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना था, लेकिन पहले से ही कई हिंदू चेहरे मंत्रिमंडल में लिए जाने के कारण उन्हें स्पीकर बनाया जा सकता है. इस समय राणा केपी सिंह पंजाब कांग्रेस में बतौर उपाध्यक्ष नियुक्त हैं.
सोच-समझकर मंत्रालयों का बंटवारा कर रहे हैं कैप्टन
पिछले 10 साल से लगातार कांग्रेस पंजाब में सत्ता से दूर थी और पंजाब में एक बार फिर सरकार बनाने के लिए लंबे वक्त से कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस के नेता लगे हुए थे. कैप्टन अमरिंदर सिंह नहीं चाहते हैं कि सरकार बनने के साथ किसी भी पार्टी नेता को कोई नाराजगी रहे. इसी वजह से सोच-समझकर मंत्रालयों का बंटवारा किया जा रहा है और ये भी कहा जा रहा है कि एक बार सरकार के गठन के बाद जल्द ही कैबिनेट का विस्तार भी किया जाएगा. फिलहाल कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वो बड़े राजनीतिक रसूख और कद वाले नवजोत सिंह सिद्धू को अपनी कैबिनेट में कैसे और किस तरह एडजस्ट कर पाते हैं.