
कांग्रेस के साथ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मामले में गतिरोध बने होने का संकेत देते हुए बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि संविधान संशोधन विधेयक में कर की दर की सीमा तय किए जाने मांग बेतुकी है. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में कहीं भी संवैधानिक रूप से इस शुल्क का जिक्र नहीं है.
जेटली ने कहा, 'कांग्रेस ने तीन मांगें रखी हैं, जिसमें एक शुल्क को संविधान में शामिल करने की बेतुकी मांग भी है. अब क्या वे मुझे बता सकते हैं कि दुनिया में क्या कहीं भी शुल्क का जिक्र संविधान में है. हर समय कहीं सूखा, बाढ़ होती है और आपको कर की दर बढ़ानी पड़ती है. आपको कर की दर में बदलाव के लिए भारत में सभी राज्यों के पास पहले जाना होगा. यह ऐसी चीज है जो संभव नहीं है.'
'कोई भी शुल्क अनंतकाल तक नहीं'
वित्त मंत्री ने कहा कि कोई भी शुल्क अनंतकाल के लिए नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, 'जब मात्रा बढ़ती है, यह नीचे आएगा. संकट में यह ऊपर जा सकता है और इसीलिए जब आपकी सरकार थी सीमा की धारण आपके दो वित्त मंत्रियों के जेहन में भी नहीं आई.' एक परिचर्चा में भाग लेते हुए जेटली ने कहा, 'अब आप विपक्ष में हैं तो बड़े बुद्धिमान हो गए हैं, स्थिति बदल गई है. आपने पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान फाइल पर जो प्रस्ताव किया था, मैं उसे स्वीकार करने को पूरी तरह तैयार हूं.'
निश्चित रूप में अस्तित्व में आएगा GST
जेटली ने आगे कहा कि जीएसटी निश्चित रूप से अस्तित्व में आने जा रहा है. श्रोता के रूप में उपस्थित कांग्रेस नेता कमलनाथ ने जीएसटी विधेयक पारित किए जाने के लिए पार्टी की तीन मांग को न्यायोचित बताते हुए कहा कि एक अगर एक फीसदी अतिरिक्त कर लगाया जाता है कि जीएसटी की धारणा निरर्थक हो जाएगी. जीएसटी दर की सीमा के बारे में उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री कम से कम यह कह सकते हैं कि दर पर सीमा होगी, लेकिन इसे संविधान में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. तीसरी मांग संतोषजनक विवाद निपटान प्रणाली के प्रावधान से संबंधित हैं.
कमलनाथ ने कहा, 'अगर हमारे पास विधेयक है, हमारे पास अच्छा विधेयक होना चाहिए.' आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि उद्योग एवं दुनिया जीएसटी की प्रतीक्षा कर रही है और इसे यथाशीघ्र पारित किया जाना चाहिए.