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कपिल सिब्बल- जब जनता ने 'तीन तलाक' बोल दिया तो चर्चा से क्या फायदा?

Triple Talaq को खत्म कराने को लेकर मोदी सरकार फिर बिल लेकर लोकसभा में आई है और वह इसे संसद में पास कराना चाहती है, वहीं कपिल सिब्बल का कहना है कि जब जनता ने ही सरकार को तीन तलाक बोल दिया है तो अब इस पर बहस की क्या जरुरत है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल (फाइल फोटो-ट्विटर, ANI) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल (फाइल फोटो-ट्विटर, ANI)
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST

Triple Talaq को खत्म कराने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार लंबे समय से प्रयासरत है और वह गुरुवार को एक बार फिर से लोकसभा में 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018' पर चर्चा कराना चाहती है. दूसरी ओर, कांग्रेस लगातार इसके खिलाफ रही है तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने हाल के विधानसभा चुनाव के परिणाम से जोड़ते हुए कहा कि जब जनता ने ही उन्हें तीन तलाक बोल दिया है तो इस पर चर्चा से क्या फायदा.

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पिछले दिनों हिंदी बेल्ट के 3 राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था और इन तीनों राज्यों में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की. बीजेपी की इसी हार को जोड़ते हुए कपिल सिब्बल ने कहा, 'जनता ने जब उन्हें ट्रिपल तलाक कह दिया है तो इस पर चर्चा से क्या फायदा, जब जनता ने आपको तलाक, तलाक, तलाक कह दिया है तो इस चीज पर कोई फायदा नहीं है. मैं तो केवल इसको राजनीति से जोड़ रहा हूं कि जब जनता तलाक दे देती है तो इस तरीके के मुद्दों पर चर्चा कराने का कोई फायदा नहीं है.'

तीन तलाक बिल पर कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा है कि हमारी पार्टी इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग करेगी. दूसरी ओर, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में बिल पर बहस से पहले कहा कि तीन तलाक बिल राष्ट्रहित में है और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक का धर्म से कोई नाता नहीं है और कांग्रेस को इसे पारित कराने में सहयोग करना चाहिए.

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मोदी सरकार ने पिछले साल तीन तलाक बिल को संसद में पेश किया था. बिल लोकसभा में चर्चा के बाद पास भी हो गया था, लेकिन कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के विरोध के चलते वह बिल राज्यसभा में पास नहीं हो सका. 'तलाक, तलाक, तलाक' बोलकर तलाक देने पर रोक लगाने के लिए मोदी सरकार ने तीन महत्वपूर्ण संशोधन के साथ दूसरी बार 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018' संसद में लेकर लाई है.

वैसे, सरकार और विपक्ष के बीच इस विधेयक पर पिछले सप्ताह सदन में चर्चा के लिए आपसी रजामंदी बन गई थी. बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी करके चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए कह चुकी है.

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