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JNU हिंसा और CAA के खिलाफ सड़कों पर उतरकर छात्रों ने जिंदा की पुरानी परंपरा: थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि मेरे उत्तराधिकारी छात्र संघ अध्यक्ष ने जय प्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल होने का फैसला लिया था. उस समय जो छात्र कक्षाओं से निकलकर आंदोलन में शामिल हो गए, उन्होंने पुरानी परंपरा को जारी रखा था.

कांग्रेस नेता शशि थरूर (Courtesy- PTI) कांग्रेस नेता शशि थरूर (Courtesy- PTI)
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 7:33 AM IST

  • जेपी आंदोलन में भी सड़क पर निकले थे छात्र
  • गांधीजी ने कॉलेज से किया भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान
जेएनयू में हुई हिंसा और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हो रहे विरोध प्रदर्शन का पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि जेएनयू हिंसा और सीएए के खिलाफ छात्रों ने सड़क पर उतरकर पुरानी परंपरा को जिंदा कर दिया है.

कांग्रेस नेता थरूर ने कहा कि भारत की पहचान एक धर्म और एक जाति के रूप में नहीं हैं, लेकिन फिर भी भारत में एकता है. जेएनयू में हुई हिंसा के खिलाफ छात्र सड़क पर उतर आए. इस विरोध प्रदर्शन में राजनीति से दूर रहने वाले कॉलेज का साथ आना सबसे अहम है.

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शशि थरूर ने कहा कि जब मैं कॉलेज में था, तब जय प्रकाश नारायण का आंदोलन चला था. मेरे सहपाठियों ने पूछा था कि क्या हम इस आंदोलन में हिस्सा लेंगे, तो मैंने कहा था कि हम गैर राजनीतिक संगठन हैं. छात्र संघ के रूप में हम इस आंदोलन में हिस्सा नहीं ले सकते हैं. हालांकि हम इस आंदोलन में हिस्सा लेने से किसी को नहीं रोकेंगे.

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि उस समय मेरे उत्तराधिकारी छात्र संघ अध्यक्ष ने जय प्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल होने का फैसला लिया था. उस समय जो छात्र कक्षाओं से निकलकर आंदोलन में शामिल हो गए, उन्होंने पुरानी परंपरा को जारी रखा. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि कॉलेज वो जगह हैं, जहां से महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया था. अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन में सेंट स्टीफेंस कॉलेज के छात्र भी शामिल हुए थे. भारत छोड़ो आंदोलन के लिए कॉलेजों से आवाज उठी थी.

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शशि थरूर ने कहा कि इन विरोध प्रदर्शनों ने परंपरागत राजनीति की सीमाओं को तोड़ दिया है और युवाओं के नेतृत्व की अहमियत को दिखाया है. छात्रों ने जो किया, वो उनकी चिंता को दर्शाता है. सत्ताधारी पार्टी ने जेएनयू के विरोध प्रदर्शन को एबीवीपी का इस्तेमाल करके दबाने की कोशिश की है.

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