Advertisement

कांग्रेस यूपी में नीतीश की राह पर, अति पिछड़ों के लिए आरक्षण का लॉलीपॉप!

कांग्रेस को लगता है कि ओबीसी में यादवों का बड़ा वर्ग को सपा के साथ रहेगा, इसलिए उसने ओबीसी में यादवों के अलावा बाकी जातियों पर डोरे डालने का फैसला कर लिया.

यूपी में कांग्रेस का नया दांव यूपी में कांग्रेस का नया दांव
कुमार विक्रांत/कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 16 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 1:51 AM IST

जात पर न पात पर, बटन दबाओ हाथ पर का नारा देने वाली कांग्रेस यूपी में 27 साल बाद सत्ता में वापसी के लिए जाति और धर्म का हर कार्ड खेलती जा रही है. पहले ब्राह्मण सीएम उम्मीदवार शीला दीक्षित का दांव, फिर प्रचार समिति का अध्यक्ष संजय सिंह को बनाकर राजपूत कार्ड, और अब मोस्ट बैकवर्ड क्लास(एमबीसी) पर दांव लगाने की तैयारी है.

Advertisement

दरअसल, कांग्रेस को लगता है कि ओबीसी में यादवों का बड़ा वर्ग को सपा के साथ रहेगा, इसलिए उसने ओबीसी में यादवों के अलावा बाकी जातियों पर डोरे डालने का फैसला कर लिया. रणनीति के तहत राहुल गांधी ने पहले दिल्ली में ओबीसी में आने वाले एमबीसी नेताओं से मुलाकात की, उनकी मांगे सुनी, जिसके बाद ही तय हो गया कि पार्टी इस मुद्दे का सियासी इस्तेमाल जोर-शोर से करने वाली है.

अब ठीक हुआ भी वैसा ही, कांग्रेस इस सम्बन्ध में मैदान में उतारने के लिए पोस्टर तैयार कर लिए हैं, जिनको बड़े पैमाने पर लगाया जायेगा और सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जाएगा. पोस्टर में सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी और शीला दीक्षित हैं. पोस्टर में वादा किया गया है कि 27 फीसदी पिछड़े वर्ग को यूपी में आरक्षण मि ला है, लेकिन अति पिछड़ा वर्ग को उसका फायदा नहीं मिला, इसलिए कांग्रेस सत्ता में आई तो ओबीसी कोटे के अंदर ही वो एमबीसी के लिए अलग से कोटे का प्रावधान करेगी.

Advertisement

पार्टी के सलाहकार प्रशांत किशोर की तरफ से दी गई जानकारी में ये कहा गया है कि ये मुद्दा कांग्रेस की मेनिफेस्टों में शामिल होगा और कांग्रेस अगर सत्ता में आती है तो वो राज्य के अति पिछड़ों को उस 27 प्रतिशत आरक्षण के भीतर अलग से आरक्षण देगी जिसे पिछड़ी जातियों के लिए रखा गया है. इसी कोटे के भीतर अलग से अति पिछड़ी जातियों के लिए ये व्यवस्था की जाएगी. हालांकि, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी इसे जातिवाद की राजनीति नहीं मानते. उनका कहना है कि कांग्रेस गरीब, किसान और वंचितों की मदद के लिए बात करती है और उसी मकसद से अति पिछड़ा वर्ग के हक की बात कर रही है.

गौरतलब है कि बिहार सहित करीब 10 राज्यों में ऐसी व्यवस्था है जहां राज्य सरकारों ने पिछड़ी जातियों के कोटे के भीतर अति पिछड़ी जातियों की पहचान कर उन्हें अलग से आरक्षण दिया है. बिहार में तो नीतीश कुमार ने इस आरक्षण व्यवस्था को पंचायत और निकाय चुनावों में लागू करके भरपूर चुनावी फायदा भी लिया है. बिहार में ये कर्पूरी फॉर्मूला के तौर पर जाना जाता है जहां ये करीब तीन दशक से लागू है. बिहार मॉडल में नीतीश कुमार को मिली सफलता को देखते हुए कांग्रेस उसी फॉर्मूले को यूपी में भुनाने की तैयारी में है. बिहार में पिछड़ी जातियों में अति पिछड़ी जातियां और दलितों में महादलित बनाए गए जिनका नीतीश कुमार को भरपूर चुनावी फायदा मिला.

Advertisement

कांग्रेस ने कहा है कि 80 के दशक में महाराष्ट्र और कर्नाटक में कांग्रेस ने ऐसी ही आरक्षण की व्यव्स्था की थी जहां पिछ्ड़ी जातियों के कोटे से अति पिछड़ी जातियों को दिया गया है. वहीं फॉर्मला अब कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश में आजमाना चाहती है. लंबे समय से मुद्दों की कमी से जूझ रही कांग्रेस को ये बड़ा मुद्दा हाथ लगा है जिसमें कांग्रेस उत्तर प्रदेश की उन तमाम अतिपिछड़ी जातियों को एक करने की मुहिम में जुटी है जो इस वक्त समाजवादी पार्टी से नाराज चल रहे हैं और बीजेपी का रूख कर सकते हैं. कांग्रेस को लगता है कि वो आरक्षण के बहाने उन तमाम अति पिछड़ी जातियों को अपने पाले में कर सकती है जो समाजवादी पार्टी में चल रहे यादववाद से नाराज है. राहुल गांधी ने पहले किसानों की बात की अब राहुल गांधी राज्य के अति पिछड़ी जातियों को लुभाएंगे, पार्टी को लगता है कि इन मुद्दों के सहारे वो चुनावी वैतरनी पार कर सकती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement