Advertisement

ट्रांजैक्शन चार्ज से ग्राहक परेशान, लुभाने में जुटे कोऑपरेटिव बैंक

कैशलेस ट्रांजैक्शन बढ़ाने के लिए निजी बैंकों का ट्रांजैक्शन चार्ज के नाम पर पैसा वसूलना लोगो की आँख में धूल झोंकने जैसा है. निजी बैंकों ने जनता की जेब से पैसा निकालने की एक चाल चली है. महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक्स फेडरेशन के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर का मानना है कि देश के मजबूत कॉआपरेटिव बैंकों के लिए यह सुनहरा मौका है वह अपना ग्राहक बेस मजबूत करे.

निजी बैंकों के ग्राहकों को लुभाने की तैयारी में कोऑपरेटिव बैंक निजी बैंकों के ग्राहकों को लुभाने की तैयारी में कोऑपरेटिव बैंक
पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 02 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 12:05 AM IST

कैशलेस ट्रांजैक्शन बढ़ाने के लिए निजी बैंकों का ट्रांजैक्शन चार्ज के नाम पर पैसा वसूलना लोगो की आँख में धूल झोंकने जैसा है. निजी बैंकों ने जनता की जेब से पैसा निकालने की एक चाल चली है. महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक्स फेडरेशन के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर का मानना है कि देश के मजबूत कॉआपरेटिव बैंकों के लिए यह सुनहरा मौका है वह अपना ग्राहक बेस मजबूत करे.

Advertisement

महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक्स फेडरेशन के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर ने इसे निजी बैंकों की एक साजिश कहा है. उनके मुताबिक निजी बैंकों की घोषणा कि चार ट्रांजैक्शन के बाद ग्राहकों को प्रत्येक ट्रांजैक्शन के लिए 150 रुपये देने होंगे पूरी तरह से गलत है. अनास्कर के मुताबिक निजी बैंक ऐसे छिपे चार्जेस के भरोसे ही मुनाफा कमाती है.

अनास्कर के मुताबिक निजी बैंकों के इस फैसले से आम जनता कैशलेस होने के बजाए दी हुई लिमिट के अंदर पर्याप्त कैश निकालने लगेंगे और उनके लिए कैश रखना ही फायदे का सौदा रहेगा.
चार ट्रांसेक्शन के बाद डेढ़ सौ रूपए का चार्ज सिर्फ प्राइवेट बैंक्स ने तय किया है. इस निर्णय में सरकार का कोई रोल नहीं है. सरकारी बैंकों ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है. और न ही कोऑपरेटिव बैंकों का इस फैसले से कोई लेनादेना है.

Advertisement

• निजी बैंकों का कहना है कि ये फैसला कैशलेस ट्रांजैक्शन बढ़ाने के लिए लिया है लेकिन इसमें लोगों की जेब से पैसे निकालने की साजिश है.

• लोग अब बैंक में पैसे जमा करने से बचेंगे और बैंक से ज्यादा से ज्यादा कैश निकालने का चलन बढेंगा. अगर किसी को सौ रुपये की जरुरत है तो भी एक से दो हजार रुपये निकालना शुरू करेंगे.

• निजी बैंक की ग्राहकों की जेब से पैसा निकालकर अपना मुनाफा बढ़ाने वाली सोच है.

• निजी बैंक की ये छिपी साहूकारी है. इससे इनका बड़ा मुनाफा होगा. निजी बैंक के चार्जेस देखे तो इंस्ट्रूमेंट चार्जेस , मिनिमम बैलेंस चार्जेस , चेक बाउंस चार्जेस के नाम से लगाए जाते हैं.

• ऐसे बैंक गरीब कस्टमर के भरोसे नहीं बैठते. वहीं ऐसे निजी बैंक सरकार की उस कोशिश में साथ नहीं देते जहां वह देश के प्रत्येक गरीब आदमी को बैंकिंग के सहारे जोड़ सके.

• इन प्राइवेट बैंक्स के हिडन चार्जेस , सामान्य आदमी की सोच से बाहर है. उसे पता भी नहीं चलता कैसे ये बैंक कस्टमर से पैसे निकालते है. इनके घोषित इंटरेस्ट रेट और अघोषित इंटरेस्ट रेट में भी बहुत फर्क होता है.

• विद्याधर अनास्कर के मुताबिक कोआपरेटिव बैंकों को इस मौके का फायदा उठाना चाहिए और ग्राहकों को अपने बैंक में आकर्षित करना चाहिए. कोआपरेटिव बैंक्स में किसी तरह का ट्रांजैक्शन चार्ज नहीं लगता.

Advertisement

• विद्याधर अनास्कर ने दावा किया है कि कोआपरेटिव बैंक ऐसे निजी बैंक्स की तरह हिडेन चार्जेस नहीं लगाती और इसी लिए कोआपरेटिव बैंकों के लिए अपना ग्राहक बेस बढ़ाने का बड़ा मौका है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement