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कॉपी कैट नाम के एक मैलवेयर ने दुनिया भर के 14 मिलियन एंड्रॉयड स्मार्टफोन को प्रभावित किया है. इसमें से लगभग 8 मिलियन डिवाइस को इसने रूट कर दिया. यह रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है और एंड्रॉयड स्मार्टफोन की सुरक्षा पर सवाल भी उठाती है.
सिक्योरिटी फर्म चेक प्वॉइंट के मुताबिक दुनिया भर के लगभग 14 मिलियन एंड्रॉयड डिवाइस को इसने अपना निशाना बनाया है. यह खतरनाक मैलवेयर किसी भी स्मार्टफोन को रूट कर सकता है या फ्रॉड करने के लिए हाईजैक भी कर सकता है.
भारतीय यूजर्स के लिए चिंता की बात यह है कि सिक्योरिटी फर्म ने कहा है कि इस मैलवेयर से सबसे ज्यादा एशिया के स्मार्टफोन को नुकसान हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक इस अटैक से अमेरिका के लगभग 2 लाख 80 हजार एंड्रॉयड डिवाइस इससे प्रभावित हुए हैं.
आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल अप्रैल और मई में इसने सबसे ज्यादा एंड्रॉयड को प्रभावित किया था, लेकिन तब ही इसे गूगल प्ले प्रोटेक्ट से ब्लॉक किया गया जिसके बाद इसमें कमी दर्ज की गई.
गौरतलब है कि यह मैलवेयर नया नहीं है, बल्कि दो साल पहले भी गूगल ने प्ले स्टोर को इससे बचाने के लिए अपडेट जारी किया था. हालांकि थर्ड पार्टी ऐप्स पर गूगल प्ले स्टोर का उतना अख्तियार नहीं होता, इसलिए ये उनके सहारे एंड्रॉयड डिवाइस को प्रभावित कर रहे हैं.
चेक प्वॉइंट सिक्योरिटी फर्म के मुताबिक फिलहाल इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं जिससे यह कहा जा सके कि यह गूगल प्ले पर आया है.
गूगल ने एक बयान में कहा है, ‘प्ले प्रोटेक्ट यूजर्स को उन ऐप्स से बचाता है जो कॉपीकैट मैलवेयर से प्रभावित हैं. इसलिए यह गूगल प्ले स्टोर पर नहीं आ सकता’
आपको बता दें कि CopyCat थर्ड पार्टी मोबाइल ऐप स्टोर पर खुद को पॉपुलर दिखाता है.
एक बार यह Copy Cat मैलवेयर किसी एंड्रॉयड स्मार्टफोन में आता है तो सबसे पहले एक बार री स्टार्ट होने की जरूरत होती है. हालांकि सभी डिवाइस में यह पूरी तरह अपना काम नहीं कर सकता है. चेक प्वॉइंट सिक्योरिटी के मुताबिक यह जिन स्मार्टफोन में जाता है उनमें से 54 फीसदी को प्रभावित करने में कामयाब होता है.
रिसरचर्स ने कॉपी कैट को पूरी तरह डेवेलप्ड मैलवेयर है और यह कई तरह के नुकसान पहुंचाने में सक्षम है. इसमें डिवाइस को रूट करने से लेकर इसमें खतरनाक कोड डालना शामिल है.
चेक प्वॉइंट रिसर्च के मुकाबिक यह मैलवेयर बना कर फैलाने वाले हैकर्स ने दो महीनों में 1.5 मिलियन डॉलर बटोरे हैं . दुनिया भर में 14 मिलियन डिवाइस को प्रभावित किया जिनमें से 8 मिलियन डिवाइस को इस मैलवेयर ने रूट कर दिया.
हैरान करने वाली बात यह है कि सिक्योरिटी फर्म इसे काफी खतरनाक बता रहा हैं क्योंकि इसका सक्सेस रेट दूसरे मैलवेयर के मुकाबले काफी ज्यादा है. आपको बता दें कि ज्यादातर मैलवेयर ऐसे होते हैं जो मोबाइल में तो आ जाते हैं, लेकिन जिस तरह का नुकसान पहुंचाने के लिए उन्हें डिजाइन किया गया होता वैसा नहीं कर पाते हैं.