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नवजात बच्चों को एचआईवी संक्रमण से बचाने और उपचार के लिए गाय का दूध मददगार हो सकता है. एक ताजा स्टडी के मुताबिक, गाय के दूध में एक प्रोटीन की संरचना में फेरबदल कर इसमें एंटी-रेट्रोवायरल दवा को घुलनशील बनाने का नया तरीका खोज निकाला है, जिससे गाय का दूध इलाज के लिए बेहतर दवा साबित हो सकता है.
एड्स से बचाव और इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली वाली एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं पानी में बहुत घुलनशील नहीं होती हैं. लेकिन इन एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं से युक्त दूध बच्चों को एचआईवी संक्रमण से बचाने के लिए बेहतरीन दवा है. नवजात बच्चे अधिकांश एंटी-रेट्रोवायरल दवाएं सहन नहीं कर पाते हैं. एचआईवी से बचाव और इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे सामान्य दवा रिटोनावीर के बहुत सारे दुष्प्रभाव भी हैं.
अमेरिका की पेनसिल्वानिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर फेटेरिको हार्ट ने बताया, 'यह भौतिक-रासायनिक गुण शिशुओं की व्यवस्था को चुनौती देते हैं. इस समस्या को सुलझाने के लिए हार्ट ने गाय के दूध में पाए जाने वाले एक प्रोटीन समूह 'केसिंस' पर इस्तेमाल करके देखा. स्तनपाइयों के दूध में पाए जाने वाले केसिंस प्रोटीन, मां से बच्चे में एमिनो एसिड और कैल्शियम वितरण की प्राकृतिक व्यवस्था है. हार्ट ने सोचा कि यह रिटोनावीर दवा के अणुओं को भी वितरित कर सकते हैं.
हार्ट ने बताया, 'अणुओं की
बढ़ी बाइंडिंग के परिणाम के बाद, हमने माना कि पानी बहुत न घुलने वाली दवा को बच्चों में पहुंचाने के लिए रिटोनावीर युक्त दूध का पाउडर इस्तेमाल किया
जा सकता है.'
- इनपुट IANS